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झारखंड में विकास क्यों नहीं हो रहा, जानें वजह

झारखंड में अधिकारियों की कमी के कारण विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है. सृजित पद पर भी अधिकारियों के नहीं होने के कारण एक अधिकारी कई विभागों का काम कर रहे हैं. ताजा उदाहरण उपराजधानी दुमका का है जहां लगभग सभी विभाग के अधिकारियों की कमी है. प्रखंड से लेकर जिला और प्रमंडलीय स्तर पर 50% भी अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं है.

Shortage of Government officers
Shortage of Government officers

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Published : Aug 22, 2022, 9:32 PM IST

दुमका:झारखंड सरकार जनता को बेहतर प्रशासन देने की बात कहती है. बेहतर प्रशासन को धरातल पर उतारने के लिए सरकारी अधिकारियों की आवश्यकता होती है. अगर हम संथाल परगना प्रमंडल की बात करें तो यहां अधिकारियों की काफी कमी है. जिससे कामकाज सुचारू तौर पर नहीं हो पा रहा. सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे प्रमंडल में प्रशासनिक स्तर पर सबसे वरीय पद प्रमंडलीय आयुक्त का होता है लेकिन, संथाल परगना में प्रमंडलीय आयुक्त का पद भी प्रभार में चल रहा है. हजारीबाग प्रमंडल के आयुक्त चंद्र किशोर उरांव यहां अतिरिक्त प्रभार में आयुक्त का कामकाज संभाल हैं. ऐसे में जब आयुक्त का पद ही प्रभार में चल रहा हो तो प्रमंडल स्तर के अन्य पद के साथ जिला स्तर और प्रखंड स्तर के अधिकारी का भी यही हाल है. इन सभी जगहों पर स्वीकृत पद के मुकाबले पोस्टिंग आधे पद पर भी नहीं है.


प्रमंडल स्तर (कमिश्नरी लेबल) पर अधिकारियों की काफी कमी: संथाल परगना प्रमंडलीय कार्यालय दुमका व्यवस्थित है. यहां सभी विभागों के प्रमंडल स्तर के कार्यालय हैं. जहां से छह जिले दुमका, देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के कामकाज की मॉनिटरिंग होती है. इस तरह से देखा जाए तो यह काफी महत्वपूर्ण कार्यालय है. इसके बावजूद यहां के अधिकांश पद पर अधिकारियों (Government officers in Dumka) की पोस्टिंग नहीं है. कुछ पद अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं तो कुछ बिल्कुल रिक्त पड़े हैं. आइए देखते हैं संथाल परगना प्रमंडलीय कार्यालय में अधिकारियों के पदस्थापना की क्या स्थिति है?

वैसे रिक्त पदों की सूची जो अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं:

  • उप निदेशक, पंचायत राज
  • उप निदेशक, राजभाषा
  • उप निदेशक, खाद्य
  • उप निदेशक, कल्याण
  • उप निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क
  • क्षेत्रीय विकास पदाधिकारी
  • आयुक्त के सचिव

जिला स्तर अधिकारियों की स्थिति भी बदतर: इसके साथ ही प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय में अवर सचिव के दो पद हैं और दोनों रिक्त हैं, जबकि प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय में सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के 6 पद में से पांच पद रिक्त हैं. आइए एक नजर जिला स्तर पर अधिकारियों की कमी पर डालते हैं. जिस तरह प्रमंडल स्तर पर अधिकारियों की कमी है लगभग वही स्थिति जिला स्तर पर भी है.

जिला स्तर के कई प्रमुख पद जो रिक्त हैं:

  • अपर समाहर्ता
  • निदेशक जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA)
  • निदेशक एनईपी
  • प्रोजेक्ट डायरेक्टर आईटीडीए
  • डिप्टी रजिस्ट्रार
  • भू-अर्जन पदाधिकारी
  • जिला कृषि पदाधिकारी

प्रखंड स्तर पर स्थिति और भी खराब:प्रमंडल और जिला स्तर के बाद हम प्रखंड स्तर पर अधिकारियों की बात करें तो यहां की स्थिति और भी खराब है. किसी भी प्रखंड और अंचल कार्यालय के लिए बीडीओ और सीओ का होना आवश्यक है लेकिन, दुमका के दस अंचल में चार अंचल सरैयाहाट, रामगढ़, मसलिया और गोपीकांदर में अंचलाधिकारी का पद रिक्त है. इन सभी जगहों पर बीडीओ ही सीओ के अतिरिक्त प्रभार में हैं. इसके साथ दसों प्रखंड में प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी का पद पूरी तरह से रिक्त पड़ा है. लगभग इन सभी पदों पर बीडीओ या प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं.

एक-एक अधिकारी के जिम्मे कई-कई पद: दुमका में अधिकारियों की कमी (Shortage of Government officers in Dumka) की वजह से एक-एक पदाधिकारी के पास में कई-कई पदों का दायित्व है. पंचायत राज के उप निदेशक, राजभाषा के उप निदेशक, खाद्य के उप निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क के उप निदेशक, उक्त चारों पद जुगनू मिंज अतिरिक्त प्रभार में हैं. जिनकी मूल पोस्टिंग परिवहन आयुक्त-सह-सचिव, संथाल परगना क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार की है. इसके साथ ही भूमि सुधार उप समाहर्ता विनय मनीष लकड़ा अपने पद के अतिरिक्त प्रमंडल स्तर के पद उप निदेशक, कल्याण, क्षेत्रीय विकास पदाधिकारी और आयुक्त के सचिव का भी कामकाज संभाल रहे हैं. इतना ही नहीं विनय मनीष लकड़ा जिलास्तर के अपर समाहर्ता, भू-अर्जन पदाधिकारी का पद संभाल रहे हैं. वहीं, उप विकास आयुक्त करण सत्यार्थी परियोजना निदेशक आईटीडीए के अभाव में हैं. वहीं, जिला योजना पदाधिकारी अरुण कुमार द्विवेदी निदेशक डीआरडीए और निदेशक एनईपी हैं.

सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: इस तरह हम देख रहे हैं कि संथाल परगना प्रमंडल में अधिकारियों की व्यापक कमी है. अगर अधिकारी ही नहीं रहेंगे तो विकास कार्यों को जनता तक कौन लेकर जाएंगे. अगर एक अधिकारी के जिम्मे में कई पद रहेंगे तो जाहिर है कि वह अपने दायित्व का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर पाएंगे. इस पर सरकार को अविलंब संज्ञान लेने की आवश्यकता है.

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