दुमका:झारखंड हाईकोर्ट(Jharkhand High Court) ने जल स्रोतों की हो रहे अतिक्रमण पर टिप्पणी की थी कि जल स्रोतों के किनारे अवैध निर्माण नहीं रोक सकते, तो अफसरों को कुर्सी पर आने का अधिकार नहीं. दुमका में कुछ ऐसा ही हो रहा है. मयूराक्षी नदी पर स्थापित मसानजोर डैम (Masanjor Dam established on Mayurakshi river) के जल अधिग्रहण क्षेत्र के लिए जो जमीन दशकों पहले अधिग्रहित की जा चुकी है, उसका अतिक्रमण किया जा रहा है. उसकी खरीद बिक्री हो रही है.
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बस गया मोहल्ला, किसी पर नहीं हुई कार्रवाई
दुमका के लखीकुंडी गांव(Lakhikundi Village) में प्रशासन की ओर से लगाए तीन साल पहले कई साइन बोर्ड लगाए गए थे. इस पर लिखा है कि ये जमीन मसानजोर डैम के लिए अधिग्रहित की गई है. इस जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती. इस पर कोई निर्माण नहीं हो सकता. अगर कोई ऐसा करता है, तो उस पर विधि सम्मत कार्रवाई होगी. बोर्ड तो लगा है, लेकिन इसकी प्रॉपर मॉनिटरिंग नहीं हुई. नतीजा हुआ कि बोर्ड तो अभी भी उसी जगह लगा हुआ है, बस उसके चारों ओर की जमीन की जमकर खरीद बिक्री हुई और तो और यहां पूरा मोहल्ला बस गया. सबसे बड़ी बात यह है कि जमीन खरीद बिक्री का धंधा अभी यहां लगातार हो रहा है.
क्या कहते हैं एसडीएम
इस पूरे मामले की जानकारी जब दुमका एसडीएम महेश्वर महतो को दी गई, तो उन्होंने कहा कि इस मामले इस जांच के लिए सदर अंचल के सीओ को भेजेंगे. किसने जमीन की खरीद बिक्री की है, उसे चिन्हित किया जाएगा, साथ ही इसके लिए लोगों को सचेत किया जाएगा कि आप दलालों के चक्कर में न पड़ें और सरकारी जमीन को ना खरीदें.
लखीकुंडी गांव में प्रशासन ने लगाया था साइन बोर्ड