सिमडेगा: जिले में इस बार मकर संक्रांति का पर्व सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया. जिला मुख्यालय से करीब 14 किमी दूर भैरव पहाड़ी धाम आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है. खासियत यह कि प्रत्येक वर्ष यहां मकर संक्रांति के पावन व महत्वपूर्ण मौके पर अनुष्ठान व मेला का आयोजन किया जाता है. झारखंड में मकर संक्रांति पर लोगों ने गंगा न अन्य नदियों में आस्था की डुबकी लगाई.
वैसे इस बार यहां कोरोना के कारण यहां सादगीपूर्ण केवल अनुष्ठान का ही आयोजन किया जाएगा. इस धाम की स्थापना 2002 में हुई थी. तब तत्कालीन वन पदाधिकारी आनंद झा ने ईश्वर से प्रेरणा मिलने के बाद धाम के विकास के लिए नींव रखी थी.
इसके उपरांत स्थानीय लोगों की कमेटी बनाकर धाम के विकास कार्य को अनवरत जारी रखा गया है. आज फुलवाटांगर में स्थित यह धाम अब धार्मिक पर्यटक का रूप ले लिया है.
पहाड़ की तलहटी में बनी गुफा में ही मुख्य मंदिर है. गुफा में प्रवेश के दौरान ही सर्वप्रथम पहाड़ पर बजरंग बली की प्रतिमा विराजमान हैं.
वहीं अंदर में संकटनाशक भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित हैं. जबकि गुफा के आखिरी में भगवान भोलेदेव की प्रतिमा स्थापित की गई है.
बीरू रियासत के युवराज दुर्गविजय सिंह देव कहते हैं कि भैरव बाबा पहाड़ी अपने आप में अद्भुत है. पहाड़ के शिखर पर बनी मानव आकृति के कारण ही यह भैरव धाम के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि धाम के विकास के लिए कई कार्य प्रस्तावित है.
दुमका में तातलोई नदी गर्म जलकुंड
दुमका जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गर्म जल कुंड तातलोई सुमार है, जो सैलानियों को अपने ओर आकर्षित किया करते हैं. दुमका-भागलपुर मुख्य मार्ग बारापलासी बाजार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गर्म जल कुंड चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा है.
एक तरफ जहां तातलोई नदी गर्म जल कुंड नंगी का पांव पखारती है, वहीं दूसरी तरफ चारों ओर पहाड़ियां भी चार चांद लगाने में कम नहीं है, जोकि सैलानियों एवं पिकनिक मनाने वालों को अपनी ओर खींच लाती है. यहां वर्तमान में चार जल कुंड एक कूप एक यात्री सेड का निर्माण कराया गया है.
तातलोई गर्म जलकुंड में सालों भर यात्रियों का आना लगा रहता है लेकिन यहां 25 दिसम्बर बड़ा दिन से 15 जनवरी तक पिकनिक मनाने वालों एवं मकर सक्रांति मले में डुबकी लगाने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है.
मकर संक्रांति पर 12 से 15 जनवरी तक मेला का आयोजन किया जाता है जो बुधवार बारह ज़नवरी से मेला का प्रारंभ हुआ. यहां मेला देखने एवं गर्म जलकुंड में डुबकी लगाने दूर-दूर से आने वाले सैलानियों की तादाद काफी बढ़ जाती है.
यहां मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं को चर्म रोग एवं पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. धार्मिक आस्था के लिए भी लोग अपने तन मन की पवित्रता के लिए मकर सक्रांति में डुबकी लगाने आते हैं.
इसी तरह जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित प्राचीन शिव मंदिर जामधारा में कोलकाता से आए भक्तों ने की विशेष पूजा अर्चना, गरीबों के बीच भोजन और वस्त्र का किया वितरण.
जामधारा गांव की पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध योगेश्वर नाथ महादेव मंदिर में कोलकाता से आए श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अनुष्ठान किया.इस अवसर पर एक भंडारा का भी आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया.
बोकारो में लगाई गई आस्था की डुबकी
बोकारो में मकर संक्रांति के मौके पर तेलमोच्चो पुल के निकट दामोदर नदी में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, लड़कियों ने दामोदर नदी में किया टुसू मनी का विसर्जन.
मान्यता यह है कि आज के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं और इस दिन नदियों में जाकर आस्था की डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति और रोग का नाश होता है. जिस तरह से कोरोना महामारी का यह वर्ष रहा है.