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दुमका में पहाड़िया समाज बुनियादी सुविधाओं से वंचितः पानी, आवास, पेंशन, रोजगार, सिंचाईं से महरूम

दुमका में पहाड़िया समाज बुनियादी सुविधाओं से वंचित (Pahariya society deprived) हैं. पहाड़िया बहुल गांव में सुविधाओं का अभाव है. यहां लोगों को पानी, आवास, पेंशन, रोजगार और सिंचाईं के साधन और संसाधन तक प्राप्त नहीं हुए हैं. लगातार शिकायतों के बाद भी अधिकारियों ने अब तक सुध नहीं ली है.

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Published : Jun 12, 2022, 6:41 PM IST

Pahariya society deprived of basic facilities in Dumka
दुमका

दुमकाः सरकार आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही हैं लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है. आज भी पहाड़िया समुदाय के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित (deprived of basic facilities) हैं.

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दुमका के सदर प्रखंड में स्थित एक पहाड़िया बहुल गांव है मंझियाड़ा (Pahariya dominated village). इस गांव में सुविधाओं का अभाव है और समस्याओं का अंबार है. पीने के पानी के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. सोलर वाटर सिस्टम एक वर्ष से खराब है. एक डीप बोरिंग कराई गयी लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक उसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ. गांव में दो चापाकल जो खराब पड़े हुए थे उसे ग्रामीणों ने चंदा कर बनवाया है लेकिन उससे भी काफी कम पानी निकलता है. एक कच्चा कुआं कुछ हद तक इनका सहारा बना हुआ है.

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लोगों को नहीं मिल रहा आवास और पेंशन योजना का लाभः इस गांव के लोगों को आवास और पेंशन योजना नहीं मिल पा रही है. इक्के दुक्के को छोड़ दें तो अधिकांश लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि उनका घर मिट्टी और फूस (पुआल) का बना हुआ है. पक्के मकान की सख्त आवश्यकता है, क्योंकि सभी मौसम में परेशानी हो रही है. आवास के लिए कई आवेदन दिए पर कोई सुनवाई नहीं हुई. उनका कहना है कि बिचौलिए कभी-कभी आते हैं सौ-दो सौ रुपये लेकर यह आश्वासन देकर चले जाते हैं. वहीं कई बुजुर्गों ने बताया कि उनको पेंशन नहीं मिल पा रहा है.

सिंचाई और रोजगार के अवसर भी नहींः दुमका में पहड़िया समाज के जिस गांव में पीने के पानी के लिए लोग जूझ रहे हो वहां सिंचाई सुविधा की बात करनी भी बेमानी होगी. गांव में रोजगार के अवसर नहीं है इस वजह से लोग जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लेह-लद्दाख में काम करने जाते हैं. गांव के लोगों ने कहा कि क्या करें परिवार, बाल-बच्चों के लिए कमाना जरूरी है. जब यहां काम नहीं है तो दूरदराज काम करने जाते हैं. वो काम करके साल-डेढ़ साल में कुछ पैसे कमाकर घर लौटते हैं.


क्या कहते हैं पहाड़िया कल्याण पदाधिकारीः मंझियाड़ा जो एक पहाड़िया बहुल गांव है वहां समस्याओं का अंबार है. इस मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने जिला के पहाड़िया कल्याण पदाधिकारी अशोक प्रसाद से बात की. उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि गांव की समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए जल्द उन समस्याओं का हल निकाला जाएगा. पहाड़िया समुदाय को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने की बात तो कही जाती है पर उस दिशा में ठोस सार्थक पहल नहीं हो पा रहा है. सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

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