दुमकाःनिरक्षरों को आखर ज्ञान कराने के लिए दुमका में पढ़ना-लिखना अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान में आधी आबादी को साक्षर बनाने पर ज्यादा जोर होगा. दुमका में इसके लिए तैयारियां तेज कर दी गईं हैं. दुमका में शुरू होने वाले साक्षरता कार्यक्रम पढ़ना लिखना अभियान के तहत जिले के दस हजार निरक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य तय किया गया है. इसमें 7500 महिलाएं और 2500 पुरुष शामिल हैं.
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निरक्षरों का सर्वे शुरू
2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड में साक्षरता की दर 66.41 % है. यानी की करीब एक तिहाई आबादी अक्षर तक नहीं समझती, जिससे दैनिक जीवन में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसके निदान के लिए आजादी के बाद से झारखंड समेत पूरे देश में तमाम साक्षरता कार्यक्रम चलाए गए हैं. अस्सी के दशक में प्रौढ़ शिक्षा हो या बाद में सम्पूर्ण साक्षरता अभियान, उत्तर साक्षरता अभियान, साक्षर भारत. लेकिन अब भी प्रदेश की बड़ी आबादी अक्षर ज्ञान से वंचित है. ऐसे में अब पढ़ना लिखना कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. इस अभियान के तहत दुमका जिले को करीब दस हजार नागरिकों को साक्षर बनाने का लक्ष्य दिया गया है. इसमें 7500 महिलाएं हैं. यानी उपराजधानी दुमका की कुल आबादी 1321442 (जनगणना 2011 के अनुसार) में से करीब दस हजार लोगों को साक्षर बनाने का लक्ष्य पढ़ना-लिखना कार्यक्रम के तहत तय किया गया है. निरक्षरों के सर्वे का काम भी शुरू कर दिया गया है.
दुमका में एक हजार स्वयं सेवक शिक्षकों को मिलेगा जिम्मा
प्रशासन ने इस बड़े अभियान की सफलता के लिए एक हजार स्वयं सेवक शिक्षकों को जोड़ने का फैसला किया है. जिला साक्षरता केंद्र के अनुसार इस अभियान में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों की पहचान की जाएगी. इन दस हजार निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए एक हजार स्वयं सेवक शिक्षक चयनित किए जाएंगे. अफसरों का कहना है कि प्रयास किया जाएगा कि वे शिक्षक उसी गांव और आसपास के क्षेत्र के हों, ताकि चिन्हित निरक्षरों को निःशुल्क शिक्षा दान कर सकें.