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कमजोर मानसून के कारण अब तक शुरू नहीं हुई धान की रोपनी, सरकार से मदद की गुहार लगा रहे किसान

इस साल पूरे झारखंड में मानसून कमजोर (Monsoon In Jharkhand) है, जिससे किसानों में मायूसी है. बारिश नहीं होने के कारण किसान धान की रोपनी नहीं कर पाए हैं. धान की खेती नहीं होने पर उन्हें अपने परिवार के भरन पोषण की चिंता सता रही है और वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

Paddy planting not started in Dumka
Paddy planting not started in Dumka

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Published : Jul 24, 2022, 6:10 PM IST

दुमका: झारखंड के अन्य कई हिस्सों की तरह संथाल परगना प्रमंडल (Santhal Pargana Division) में भी इस साल मानसून ने साथ नहीं दिया है. जिस वजह से अब तक धान की रोपनी शुरू तक नहीं हो पाई है जबकि, जुलाई माह के अंत तक यहां 70 फीसदी खेतों में रोपाई हो जाती थी. जबकि अब तक मुश्किल से 10 फीसदी खेतों में बिचड़ा लगा है, वह भी पानी के अभाव में मरने की कगार पर पहुंच गए हैं. खेतों में दरार पड़ चुकी है. स्थिति ऐसी है कि संथाल परगना में सुखाड़ की आशंका बढ़ गई है. किसान परेशान हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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जुलाई माह में औसत के मुकाबले 11% ही हुई है बारिश: अगर आंकड़ों की बात करें तो संथाल परगना में जुलाई माह में औसतन 320 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन, इस माह में अब तक 35 मिमी ही वर्षा हुई है. मतलब औसतन बारिश के 11 फीसदी ही बारिश हुई. इस आंकड़े से यह साबित होता है कि यहां बारिश न के बराबर हुई है.


जिलावार धान आच्छादन का लक्ष्य और रोपनी: संथाल परगना प्रमंडल के जिलावार धान आच्छादन और रोपनी के आंकड़ें पर नजर डालें तो दुमका जिले में 1 लाख 11 हजार हेक्टेयर भूमि पर आच्छादन का लक्ष्य रखा गया है लेकिन, अभी तक रोपाई बिल्कुल नहीं हो पाई. वहीं देवघर में 52 हजार हेक्टेयर, जामताड़ा में 52 हजार हेक्टेयर, गोड्डा में 52 हजार हेक्टेयर और साहिबगंज में 49 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान लगाने का लक्ष्य था. लेकिन, इन सभी जिलों में धान की रोपाई नहीं हुई. जबकि पाकुड़ जिले में 49 हजार हेक्टेयर के लक्ष्य में लगभग 600 हेक्टेयर धान रोपनी ही हो पाई है.

क्या कहते हैं किसान: ईटीवी भारत ने दुमका जिला के कई किसानों से बात की, उन्होंने कहा कि धान हमारे जीविका का आधार है. इस साल हमने धान के बिचड़े तैयार कर लिए लेकिन पानी नहीं होने की वजह से ये बिचड़े मर चुके हैं. उन्होंने कहा हमे इस बात की चिंता सता रही है कि पूरे साल हमारे बच्चों का लालन-पालन कैसे होगा. उनकी पढ़ाई लिखाई कैसे आगे बढ़ेगी. इसे लिए उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बारिश की स्थिति पर जता चुके हैं चिंता:झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार को दुमका आए थे और उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि बारिश नहीं हो रही है जो चिंता का विषय है. हमारे किसान बारिश पर आश्रित हैं. हालांकि उन्होंने इस समस्या के समाधान को लेकर किसी तरह की कोई घोषणा नहीं की है.

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