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दुमकाः पिछले तीन सप्ताह से काफी कम हुई बारिश, धान रोपनी प्रभावित

संथालपरगना प्रमंडल में जुलाई माह में काफी कम बारिश हुई है. इससे धान की रोपनी प्रभावित हुई है. स्थिति यह है कि अब तक देवघर में 13 प्रतिशत, दुमका में 23.5 प्रतिशत और गोड्डा में 21 प्रतिशत खेतों में धान का बिचड़ा लग पाया है.

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जुलाई महीने में काफी कम हुई बारिश

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Published : Jul 19, 2021, 9:46 PM IST

दुमकाः संथालपरगना में पिछले तीन सप्ताह से काफी कम बारिश हुई है. इससे धान के बिचड़ा तैयार होने के बावजूद रोपनी नहीं हो रही है. इससे दुमका जिले के साथ-साथ देवघर और गोड्डा के किसान काफी परेशान हैं.

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संथालपरगना में धान रोपनी की स्थिति

दुमका स्थित कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जुलाई माह में संथालपरगना के देवघर, दुमका और गोड्डा में कम बारिश हुई है. इससे इन जिलों में धान की रोपनी प्रभावित हुआ है. हालांकि, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा जिले में धान की रोपनी सामान्य है. स्थिति यह है कि अब तक देवघर में 13 प्रतिशत, दुमका में 23.5 प्रतिशत और गोड्डा में 21 प्रतिशत खेतों में धान का बिचड़ा लग पाया है, जबकि पाकुड़ में 52 प्रतिशत, साहिबगंज में 47.5 प्रतिशत और जामताड़ा में 31 प्रतिशत खेतों में धान के बिचड़े की रोपाई हुई है.

जिले में धान की रोपनी प्रभावित
जुलाई माह में 125 एमएम बारिश

संथालपरगना प्रमंडल में मई और जून में अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन जुलाई में औसत बारिश भी नहीं हुई है. जुलाई माह में सामान्यतः 316 एमएम बारिश होती थी, पर अभी तक सिर्फ 125 एमएम बारिश हुई है. सामान्य बारिश का सिर्फ 40 प्रतिशत ही बारिश हुई है.

मक्के की बुआई भी प्रभावित

जुलाई माह में कम बारिश होने से धान की रोपनी के साथ साथ मक्के की बुआई पर भी असर पड़ा है. अभी तक मक्के की बुआई लगभग पूर्ण हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष दुमका में 65 प्रतिशत, देवघर में 41 प्रतिशत, जामताड़ा में 48 प्रतिशत, गोड्डा में 61 प्रतिशत, साहिबगंज में 71 प्रतिशत और पाकुड़ में 42 प्रतिशत भूखंड पर मक्के की बुआई हो सकी है. कृषि विभाग ने बताया कि संथालपरगना में 93279 हजार हेक्टेयर भूमि पर मक्के की बुआई का लक्ष्य है, जिसमें अब तक 53 हजार हेक्टेयर भूमि पर ही मक्का लगाया जा सका है.


क्या कहते हैं अधिकारी

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक अजय कुमार सिंह ने बताया कि जुलाई माह में बारिश की स्थिति अच्छी नहीं थी. इससे ऊपरी जमीन पर धान की रोपनी में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन दिनों में बारिश की संभावना है. इस बारिश के बाद धान की रोपनी पूर्ण हो जाएगी. उन्होंने कहा कि धान के रोपाई के समय खाद की आवश्यकता होती है. किसानों की जरूरतों को देखते हुए डीएपी और यूरिया का रैक आ चुका है.

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