दुमका: जिले में पिछले कुछ सालों से साइबर क्राइम के मामलों में इजाफा हुआ है. आमलोगों के साथ-साथ खास लोगों को भी गुमराह कर साइबर क्रिमिनल उन्हें अपना शिकार बना रहे हैं. हालांकि इस मामले में पुलिस को सफलता भी मिली है. कुछ अपराधियों ने पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दुमका में 2016 से ही साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं. इसे देखते हुए लगभग 4 साल पहले दुमका में साइबर थाना खोला गया, लेकिन अब तक सरकार ने इसे नोटिफाइड नहीं किया है.
साइबर थाना नोटिफाइड नहीं होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं होती हैं. जिले के आम थानों में ही साइबर क्राइम के मामले दर्ज होते हैं, बाद में सिर्फ अनुसंधान के लिए साइबर थाना भेजा जाता है, जो भी कार्रवाई यहां से होती है उसकी सारी सूचना और फाइलें संबंधित थाने को पहुंचाई जाती है. इसकी डायरी भी संबंधित थाना के ओर से ही कोर्ट को जाती है. साइबर क्राइम के मामले में साइबर थाना आम थानों के पिछलग्गू की तरह काम कर रहा है.
साइबर डीएसपी की भी है पोस्टिंग
इस साइबर थाना को संचालित करने के लिए सरकार ने साइबर डीएसपी की पोस्टिंग भी की है. श्रीराम समद यहां साइबर डीएसपी हैं, लेकिन कार्रवाई के मामले में वो जिले के आम थानों पर ही निर्भर रहते हैं.
इस पूरे मामले पर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने दुमका के साइबर डीएसपी श्रीराम समद से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार ने साइबर थाना को नोटिफायड नहीं किया है, इस कारण से दुमका के साइबर थाना में केस दर्ज नहीं होता, जबकि संथाल परगना में दो और साइबर थाना हैं देवघर और जामताड़ा, दोनों में एफआईआर दर्ज होने की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार से पत्राचार किया जा रहा है, अगर नोटिफाइड हो जाता है तो मामला यहीं दर्ज होगा और काम करने के लिए हैंड भी मिलेगा.
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