दुमका:जिले में मंदिरों के गांव के नाम से प्रसिद्ध मलूटी में 300 से 400 वर्ष पुराने टेराकोटा पद्धति से बने 72 मंदिर हैं. यह मंदिर देखरेख के अभाव में नष्ट हो रहे थे. इसे देखते हुए पर्यटन विभाग ने इसके जीर्णोद्धार का काम शुरु किया. कुछ मंदिरों में काम हुआ भी लेकिन पिछले एक वर्ष यह जीर्णोद्धार कार्य ठप है. हाल के वर्षों में झारखंड सरकार ने इन मंदिरों को पर्यटन के मानचित्र में लाने का पुरजोर जो प्रयास किया था. इससे पर्यटक भी पहुंच रहे हैं. ऐसे में जरुरी है कि इस ऐतिहासिक धरोहर की मौलिकता को संजोए रखा जाए. साथ ही इसे सजाया संवारा जाए.
मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम छोटे बड़े स्वरूप में पिछले एक दशक से चल रहा है. लेकिन आज तक 20 से 25 मंदिरों में ही आंशिक रूप से काम हुआ. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले एक वर्ष से जो काम चल रहा था वह भी बंद हो चुका है. सबसे बड़ी बात है कि मंदिर के जीर्णोद्धार के कार्य में मौलिकता पर भी सवाल खड़े किए जाते हैं कि टेराकोटा की नक्काशी जिन मंदिरों में है उस अनुसार कार्य नहीं किया जाता. फिर भी लोग चाहते हैं कि सारे मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य जल्द से जल्द पूरा हो.
क्या कहती हैं जिले की उपायुक्त
मलूटी के मंदिरों के संबंध में उपायुक्त राजेश्वरी बी ने बताया कि पर्यटन विभाग की तरफ से मलूटी के मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. इसमें भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधि भी मॉनिटरिंग करते हैं. कार्य में अलग-अलग कारणों से थोड़ी बहुत रुकावट भी आती है. स्थानीय लोगों की भी सलाह ली जाती है. हम लोगों का प्रयास है कि जल्द से जल्द काम किया जाए.