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Hijla Mela 2023: दुमका में राजकीय जनजातीय हिजला मेला 2023, सन 1890 से हो रहा है आयोजन - हिजला मेला की तैयारी

दुमका में राजकीय जनजातीय हिजला मेला 2023 का आयोजन किया जा रहा है. इस साल 24 फरवरी से 03 मार्च तक ये महोत्सव आयोजित होगी. इस मेले में जनजातीय सभ्यता संस्कृति की झलक दिखेगी. दुमका में हिजला मेला 1890 से आयोजित होता आ रहा है. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से जानिए, जनजातीय महोत्सव का दिलचस्प इतिहास.

Jharkhand State Tribal Hijla Mela 2023 in Dumka
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Published : Feb 24, 2023, 7:29 AM IST

दुमकाः जिला में मयूराक्षी नदी के तट पर 1890 से आयोजित होता आ रहा राजकीय जनजातीय हिजला मेला 24 फरवरी दिन शुक्रवार से शुरू हो रहा है, जो 03 मार्च को समाप्त होगा. हिजला मेला की तैयारी अंतिम चरण में है. इसको लेकर उपायुक्त ने प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों के साथ मेला परिसर में ही बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश दिये हैं.

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हिजला मेला का इतिहासः दुमका का राजकीय जनजातीय हिजला मेला पूरे संथाल परगना के लिए एक त्योहार के तौर पर आयोजित होता है. जिसमें काफी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. जनजातीय लोक कला, आदि संस्कृति, आदिवासी सभ्यता की झलक इस मेले में देखी जा सकती है. इस मेले के इतिहास पर नजर डालें तो इसकी शुरुआत वर्ष 1890 में संथाल परगना के तात्कालीन उपायुक्त जेएस कॉस्टेयर्स ने की थी. इसका उद्देश्य प्रशासन और जनता के बीच तालमेल बैठाना था. इस मेले में सामानों की खरीद बिक्री तो होती ही थी. इसके साथ ही साथ दूरदराज से आए लोगों के साथ बैठकर उनकी समस्याएं सुनी जाती थी, उनके लिए नीतियां और योजनाएं बनती थीं.

हिजला मेला की तैयारी में लोग

व्यापार का बड़ा केंद्र: हिजला मेला में सामाजिक, सांस्कृतिक, खेलकूद की गतिविधियों से जुड़ा होता है. इसके अलावा आठ दिन तक चलने वाले इस मेले में झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के व्यवसायी, हस्तशिल्पी अपने अपने उत्पाद को लेकर यहां पहुंचते हैं. इसके साथ ही खेल-तमाशे, अलग-अलग तरह के झूले वाले भी मेले में आते हैं. इससे यहां आए आम लोगों का मनोरंजन भी होता है और व्यापारियों को बेहतर आमदनी भी प्राप्त होती है.

हिजला मेला में लगा झूला

नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सरकार की योजनाओं का प्रदर्शन: हिजला मेला एक राजकीय महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जिसमें सामाजिक मुद्दों पर गीत-संगीत, नाटक का मंचन होता है. जिसमें जनजातीय सभ्यता और संस्कृति की झलक नजर आती है. इसके अलावा सरकारी स्तर पर अलग-अलग विभागों के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की भी जानकारी नुक्कड़ नाटक और गीत-संगीत के माध्यम से दी जाती है. जिसे लोग अधिक से अधिक लोगों को आसानी से यह समझ में आ सके. इसके अतिरिक्त सरकार के सभी विभागों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जहां विभागीय कर्मचारी मेला में आने वाले लोगों को समुचित जानकारी देते हैं.

मेला को लेकर डीसी की बैठकः दुमका उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने हिजला मेला की तैयारियों को लेकर गुरुवार को बैठक की. जिसके बाद प्रेस वार्ता कर जानकारी दी कि झारखंड सरकार के द्वारा राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव की तैयारी पूरी हो चुकी है. शुक्रवार को इसका उद्घाटन हिजला गांव के ग्राम प्रधान के द्वारा किया जाएगा. कोरोना की वजह से पिछले 2 साल से इस मेले का आयोजन नहीं किया जा सका. ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि इस बार भीड़ काफी अधिक होगी.

व्यवस्था दुरुस्त और सुरक्षा पुख्ताः जिला प्रशासन के द्वारा सारी व्यवस्था काफी बेहतर ढंग से की गई है, साथ ही साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मजिस्ट्रेट और पुलिस के अधिकारियों को मेला के सभी प्वाइंट्स पर प्रतिनियुक्त किया गया है. उपायुक्त ने बताया कि इस मेले में जनजातीय समाज के गीत, संगीत और कला का प्रदर्शन होता है. इसे देखते हुए संथाल परगना के सभी जिलों के साथ-साथ रांची, जमशेदपुर के लोक कलाकार इस मेले में भाग ले रहे हैं. डीसी ने बताया कि समापन के दिन यानी 3 मार्च को प्रसिद्ध लोक कलाकार मुकुंद नायक भी उपस्थित होंगे. मेला स्थल में रोशनी के लिए अलग से पांच हाई मास्क लाइट के साथ साथ पेयजल के लिए टैप की व्यवस्था होगी. वहीं सुरक्षा को देखते हुए मेला परिसर में कई जगह सीसीटीवी भी लगाई जा रही है.

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