दुमका: झारखंड सरकार दुमका के मयूराक्षी नदी पर अवस्थित मसानजोर डैम (Masanjor Dam Dumka) के विस्थापितों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल कर रही है. इसके लिए राज्य सरकार के मत्स्य विभाग द्वारा इन विस्थापितों को मछली पालन से जोड़ा जा रहा है (Government connecting displaced with fisheries). सरकार की इस पहल से विस्थापितों में खुशी देखी जा रही है.
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क्या है पूरा मामला: 1950 के दशक में दुमका के मयूराक्षी नदी पर मसानजोर डैम का निर्माण हुआ था, जिसमें हजारों लोग विस्थापित हुए थे. उनकी जमीन डैम में समाहित हो गई थी. उस वक्त इन लोगों को मौजूदा रेट के तहत मुआवजा दिया गया था. इसे पाकर कुछ लोग अपने को फिर से व्यवस्थित कर पाए थे लेकिन, अधिकांश लोग आज भी गरीबी में जीवन जी रहे हैं. इन लोगों को रोजगार देने की दिशा में आज तक कोई ठोस पहल नहीं हुई लेकिन अब झारखंड सरकार ने एक सार्थक पहल किया है और डैम के विस्थापितों को मत्स्य विभाग मछली पालन से जोड़ा जा रहा है.
मत्स्य पालन के रोजगार से जोड़े गए छह गांव के लोग: दुमका मत्स्य विभाग के द्वारा मसानजोर डैम के छह गांव, झाझापाड़ा, दरबारपुर, राजपाड़ा, केसियाबहाल, कुमड़ाबाद और बाजार रहमतगंज के लोगों को मछली पालन से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए विभाग ने कुल 146 केज उपलब्ध कराएं हैं. मसानजोर डैम के पानी में तैयार किए गए इस केज कल्चर से इन गांवों के काफी लोग जुड़ रहे हैं. साथ ही एक अन्य योजना के तहत इस जल स्रोत के आसपास के ग्रामवासियों को आसानी से मछलियां उपलब्ध हो सके, इसके लिए विभाग में छह लाख से अधिक मत्स्य अंगुलिकायें (अंगुली के आकार की मछली) मसानजोर डैम में डाले गए हैं.