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दुमकाः हूल दिवस पर बोलीं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, इतिहास दोबारा लिखने की जरूरत - दुमका न्यूज

हूल दिवस के अवसर पर जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. दुमका के सिद्धो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत की.

सिद्धों-कान्हू के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करती राज्यपाल

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Published : Jun 30, 2019, 3:37 PM IST

दुमकाः झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू रविवार को हूल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने सिद्धो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय पहुंची. इस अवसर पर मंत्री डॉ लुईस मरांडी, दुमका सांसद सुनील सोरेन सहित कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौजूद थे.

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द्रौपदी मुर्मू ने कहा इतिहास को एक बार फिर से लिखने की है जरूरत

हूल दिवस समारोह में अपने संबोधन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इतिहास को एक बार फिर से लिखने की जरूरत है. इतिहासकार अंग्रेजों के विरुद्ध पहली लड़ाई 1857 सिपाही का विद्रोह बताते हैं, लेकिन उसके पहले 1855 में ही सिद्घो-कान्हू ने संथाल हूल के जरिए अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. आज इतिहास में उन लोगों को ज्यादा जगह मिली है, जिन्होंने थोड़ा काम किया. जबकि सिद्घो-कान्हू ने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी थी. जिसके बावजूद इतिहास में उनको कम जगह मिली.

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प्रशासनिक भवन का उद्घाटन

द्रौपदी मुर्मू ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का भी उद्घाटन किया. इसके साथ ही कई अन्य भवनों की आधारशिला रखी गई. उन्होंने विश्वविद्यालय के कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया. अपने संबोधन में द्रौपदी मुर्मू ने छात्र छात्राओं से अपील की कि आप पढ़ लिख कर चाहे जिस क्षेत्र में जाएं लेकिन समाज के विकास के लिए भी अपना योगदान जरूर दें.

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