धनबाद: वैश्विक महामारी कोरोना पूरे विश्व को परेशान कर रखा है. लेकिन इसका एक सकारात्मक पहलू भी है. कोयलांचल धनबाद के नक्सल प्रभावित टुंडी इलाके में कोरोना ने खेतों में एक बार फिर से रौनक लौटा दी है और लगभग 15 साल के बाद लोग एक बार फिर से खेती में जुट गए हैं.
टुंडी की गिनती अत्यंत ही पिछड़े इलाकों में होती है और अधिकांश लोग खेती पर भी इन इलाकों पर निर्भर हैं. लेकिन खेती में खर्च ज्यादा और सिर्फ वर्षा पर निर्भर रहने के कारण लोगों का खेती से मोहभंग हो गया था और काफी संख्या में इन इलाकों से लोग काम के सिलसिले में दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके थे.अब कोरोना ने एक बार फिर से इन लोगों को अपने घर आने पर मजबूर कर दिया और यह एक बार फिर से खेती की ओर लौट आए हैं.
हरे भरे नजर आ रहे खेत
टुंडी इलाके से लगभग 20 से 30 हजार लोग काम के सिलसिले में दूसरे राज्यों में गए हुए थे जो लॉकडाउन के बाद काफी मुश्किल से अपने घर वापस लौट पाए हैं. घर लौटने में भी इन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. अब यह सभी मजदूर खेती के काम में जुट गए हैं जिससे स्थानीय किसान भी काफी खुश नजर आ रहे हैं. लगभग 15 वर्षों के बाद टुंडी ग्रामीण इलाके के एक खेत हरे-भरे नजर आ रहे हैं.
15 सालों से बंद थी इलाके में खेती
स्थानीय किसानों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि लगभग 15 सालों से खेती इन इलाकों में बंद था क्योंकि खेती के काम के लिए मजदूर ही नहीं मिल पा रहे थे. सभी मजदूर काम के सिलसिले में इन इलाकों से पलायन कर दूसरे राज्य मुंबई, दिल्ली, गुजरात, मंगलोर, ओडिशा, राजस्थान जैसे जगहों पर चले गए थे. जिस कारण मजदूर नहीं मिल पाने की स्थिति में खेती खत्म हो गई थी.