दुमकाः भारतीय राजनीति में कई ऐसे नाम हैं, जो आज जनता के बीच गुमनाम हो गए हैं. ऐसे ही एक शख्स दुमका जिले में भी हैं. राजनीतिज्ञ कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू शहर के गिलानपाड़ा नामक मोहल्ले के छोटे से मकान में रहते हैं. लालू जनता पार्टी की टिकट पर 1977 में पोड़ैयाहाट सीट से विधायक बने और कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल में इन्हें वन मंत्री का दायित्व मिला.
बिहार के पूर्व मंत्री कमलाकांत सिन्हा की ईटीवी भारत से खास बातचीत
छात्र आंदोलन से नेता बने लालू
1974 में छात्र आंदोलन के जरिए कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू राजनीति से जुड़े. जिसके बाद 1975 में गिरफ्तार कर इन्हें हजारीबाग जेल भेज दिया गया. जिसमें उन्हें कई महीनों की सजा हुई. इसी दौरान उनकी मुलाकात बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से हुई और कर्पूरी ठाकुर से इन्होंने राजनीति सीखी.
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आज की राजनीतिक स्थिति से निराश हैं लालू
1977 में एकीकृत बिहार में विधायक और मंत्री रह चुके लालू आज की मौजूदा राजनीति और राजनेताओं से काफी निराश हैं. उनका कहना है कि राजनीति के स्तर पर गिरावट होती जा रही है. उनका कहना है कि अब चुनाव में राजनीतिक पार्टियां सिर्फ तामझाम पर ध्यान देती हैं. पहले के समय में सिर्फ 5-6 हजार रुपयों में लोग चुनाव लड़ लेते थे. उन्होंने कहा कि मतदाता भी जाति भेदभाव नहीं करते थे और योग्य नेता ही चुनते थे.
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स्थानीय लोग लालू को मानते हैं अपना आदर्श
जिले के लोग लालू की जीवनशैली को अपना आदर्श मानते हैं. उनका कहना है कि वो छात्र आंदोलन से नेता बने, यही वजह थी कि 1977 में जब यह पोड़ैयाहाट से जनता पार्टी के प्रत्याशी बने तो हजारों छात्र और अन्य लोग साइकिल की यात्रा कर पोड़ैयाहाट पहुंचे और चुनाव प्रचार कर इन्हें जिताने का काम किया था.