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दुमका: रोड जाम करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज, 3 घंटे ठप रहा था यातायात

दुमका के जामा पालोजोरी मुख्य मार्ग पर चिक्निया ग्राम में सड़क दुर्घटना में 7 वर्षीय बालक अजीत कुमार मंडल की मृत्यु हो गई थी. इसे लेकर गैर कानूनी तरीके से सड़क जाम करने और भीड़ लगाने पर कार्रवाई की गई है.

प्राथमिकी दर्ज
प्राथमिकी दर्ज

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Published : Apr 19, 2021, 9:51 PM IST

दुमका: जिले में 17 अप्रैल शनिवार को जामा पालोजोरी मुख्य मार्ग पर चिक्निया ग्राम में सड़क दुर्घटना में 7 वर्षीय अजीत कुमार मंडल की मृत्यु हो गई थी. इसे लेकर गैर कानूनी तरीके से सड़क जाम करने, भीड़ लगाने और कानून को अपने हाथों में लेने पर कार्रवाई की गई है. प्रशासन ने परिजनों और अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिक दर्ज की है.

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निर्देश के बावजूद नहीं छोड़ी जिद

दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि जामा पालोजोरी सड़क को शाम 6 बजे से 9 बजे तक जाम रखा गया. इस दौरान लोगों को सड़क जाम हटाने और कोविड-19 के संदर्भ में सरकार की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार सामाजिक दूरी का अनुपालन करने संबंधी कई बार निर्देश दिया गए, लेकिन परिजन कृपासिंधु और सुभाष मंडल ने जाम नहीं हटाने दिया, जिससे न केवल 3 घंटे से अधिक सड़क जाम रहा बल्कि कोविड-19 के संदर्भ में सरकार की ओर से जारी निर्देशों का अनुपालन नहीं किए जाने से कोई कोविड-19 के संक्रमण के फैलने की स्थिति उत्पन्न हो गई.

परिजनों के खिलाफ की गई प्राथमिकी

परिजनों और अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 भारतीय दंड संहिता संहिता 1807 साल और अन्य प्रचलित कानून की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. इसके पूर्व शांति समिति की बैठक में सदस्यों को अंचल अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी की ओर से इस बात की सूचना दी गई थी कि सड़क दुर्घटना के बाद सड़क को जाम करना एक गैर कानूनी कृत्य है. सड़क हादसा जब किसी परिवार के साथ घटता है तब हम सभी का ये सामाजिक दायित्व है कि हम सभी पीड़ित परिवार को हरसंभव सहयोग प्रदान करें.

सड़क दुर्घटना के बाद ऐसा क्यों करते हैं लोग

सरकार ने सड़क दुर्घटना को विशिष्ट स्थानीय आपदा घोषित कर 1 लाख की मुआवजा का प्रावधान किया गया है, जिससे पीड़ित परिवार को एक छोटी सी मदद पहुंचाई जा सकती है, परंतु ये देखा जाता है कि पीड़ित परिवार शोक में डूबा होता है. कुछ असामाजिक तत्व परिस्थिति का लाभ उठाकर कानून अपने हाथों में ले लेते हैं.

1 लाख की सहायता राशि का प्रावधान

सरकार की ओर से मुआवजे की राशि निर्धारित है और उस राशि का भुगतान पीड़ित परिवार के आश्रित को उपायुक्त से स्वीकृति के बाद सीधे उसके बैंक खाते में कर दिया जाता है. बावजूद इसके सड़क पर नकद की मांग की जाती है. हो सकता है पीड़ित परिवार अत्यंत गरीब हो उसके पास दाह संस्कार के पैसे ना हो ऐसे में कोई भी सामाजिक व्यक्ति दाह संस्कार के लिए मदद या उधार दे सकता है, लेकिन दुर्घटना होते ही रोड जाम करो, रोड जाम करो की आवाज आने लगती है. ऐसा प्रतीत होता है कि सड़क पर राहगीरों को रोक कर परेशान करने से उसकी परेशानी समाप्त हो जाएगी.

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