दुमकाः जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में तीन पारा शिक्षक (सहायक अध्यापक) फर्जी दस्तावेज के आधार पर लगभग दो दशक से नौकरी कर रहे थे. विभागीय जांच में इस फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है. शिकारीपाड़ा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी नयन कुमार हेरेंज ने इस बाबत एक प्राथमिकी थाने में दर्ज कराई है. शिकारीपाड़ा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी ने थाने में जो आवेदन दिया है उसके अनुसार जिला शिक्षा अधीक्षक की ओर से पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करने का निर्देश मिला था. जांच के दौरान तीन पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया. तीनों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर पारा शिक्षक की नौकरी प्राप्त की थी.
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इन पारा शिक्षकों पर गिरी गाजः इन शिक्षकों में पहला नाम उत्क्रमित मध्य विद्यालय छाप छातुपाड़ा के शिक्षक मंगल टुडू का है. मंगल टुडू एक दिसंबर 2003 से कार्यरत हैं. उन्होंने शैक्षणिक प्रमाण पत्र के तौर पर प्रवेशिका और साहित्य भूषण का प्रमाण पत्र दिया था. यह प्रमाण पत्र जाली पाया गया. वहीं दूसरा नाम हरियाल राय का है. इन्होंने पांच फरवरी 2007 को ज्वाइन किया था. वर्तमान में हरियाल उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय सालबोना में कार्यरत हैं. उन्होंने शैक्षणिक प्रमाण पत्र के तौर पर साहित्य भूषण का प्रमाण पत्र दिया था, जो विभागीय जांच में जाली पाया है. वही तीसरा नाम तुलसी मरांडी का है. वर्तमान में तुलसी उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय लेड़वाकेंद में पदस्थापित हैं. इन्होंने प्रवेशिका परीक्षा पास होने का जो प्रमाण पत्र दिया था, वह जांच में फर्जी पाया गया है.
अब तक तीनों शिक्षकों ने जो मानदेय उठाया है उसकी होगी वसूली: शिकारीपाड़ा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी नयन कुमार हेरेंज ने थाना में जो प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है, उसमें उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि तीनों पारा शिक्षकों ने अब तक जितनी भी राशि मानदेय के तौर पर उठाया है उसकी वसूली की जाएगी. शिक्षकों पर इस तरह की कार्रवाई से दुमका के शिक्षा विभाग में हड़कंप है.
क्या कहते हैं बीईईओ: इस संबंध में शिकारीपाड़ा के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अमिताभ झा ने बताया कि काफी सूक्ष्मता के साथ पारा शिक्षकों के शैक्षणिक योग्यता संबंधित कागजातों की जांच की गई है. ऐसे पारा शिक्षक जो फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी कर रहे थे उन पर यह कार्रवाई की गई है.