दुमका: जिले के मसलिया प्रखंड के किसान करेले की खेती कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं. मसलिया प्रखंड के सुसुनिया गांव के लगभग दर्जनों किसान करेले की खेती कर रहे हैं और मुनाफा भी कमा रहे हैं. गांव के लोगों को हरी सब्जी मिल रही है, लेकिन इन किसानों को कोरोना काल में बाजार नहीं मिल पाने के कारण उपजी फसल बेच नहीं पा रहे हैं.
करेले की खेती कर आत्मनिर्भर हो रहे किसान, सुविधाओं के अभाव से परेशान अन्नदाता
दुमका के मसलिया प्रखंड में इन दिनों दर्जनों गांवों के किसान करेले की खेती लगभग 40 एकड जमीन में कर रहे हैं, लेकिन इन किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा नहीं मिल पा रहा है, हालांकि इस बार फसल तो अच्छी हुई है, लेकिन बाजार नहीं मिल पाने के कारण उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
मसलिया प्रखंड में इन दिनों दर्जनों गांवों के किसान करेले की खेती लगभग 40 एकड़ जमीन में कर रहे हैं. किसान तीन महीने से तपती धूप में पसीना बहाकर फसल तैयार करते हैं. मानसून के भरोसे खेती होने के कारण कई बार फसल सिंचाई के अभाव में नष्ट हो जाता है, जिसका मुआवजा और बीमा राशि भी किसानों को नहीं मिल पाता है. कड़ी मेहनत के बाद किसानों को उपजाए फसल का उचित मूल्य बाजारों के अभाव में नहीं मिल पा रहा है. इन किसानों को सब्जी बेचने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. कोरोना वायरस के कारण इस साल सब्जी का भाव भी कम मिल रहा है. यहां पर किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा भी नहीं मिला पा रही है, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है. किसान नंदकिशोर यादव ने बताया कि सरकार सरकार हमें सिंचाई की सुविधा इस बंजर जमीन पर उपलब्ध करा दें तो तरह-तरह की हरी सब्जी, साग और मौसमी फसलों का उपज बेहतर कर सकते हैं, हम लोग जी तोड़ मेहनत तो करते हैं, लेकिन उचित मुनाफा नहीं मिल पा रहा है, इससे काफी परेशानी है.
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दुमका जिले के मसलिया प्रखंड के सुसनिया गांव के दर्जनों किसान करेले की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सही सुविधा और बाजार उपलब्ध नहीं होने से वो परेशान हैं. किसानों ने बताया कि उपजाए हुए फसल को सुरक्षित रखने के लिए हमलोगों के पास कोई साधन नहीं है, अगर हमारे क्षेत्र में एक कोल्ड स्टोरेज रहता तो फसल को औने पौने दाम पर नहीं बेचा जाता. उन्होंने सरकार से इस ओर ध्यान देने की अपील की है.