दुमका: जिले में ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की स्थिति बदहाल है. साल 2014 - 15 में लगभग दो दर्जन गांव में मिनी वाटर प्लांट लगाया गया. इसका उद्देश्य बोरिंग, मोटर पम्प और पानी टंकी के माध्यम से लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाना था. कुछ दिन इसने काम भी किया, लेकिन बाद में विभागीय उदासीनता की वजह से प्लांट ने काम करना बन्द कर दिया. इससे ग्रामीणों में काफी निराशा है.
ईटीवी भारत ने दुमका में की ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की पड़ताल, 2 वाटर प्लांट मिले खराब
ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के दो गांव शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के इंदरबनी औरसदर प्रखंड के आसनसोल गांव में मिनी वाटर प्लांट का जायजा लिया. पड़ताल में दोनों वाटर प्लांट खराब मिले. ग्रामीणों का कहना है कि काफी उम्मीदें थी, लेकिन कई महीनों से बेकार हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इसे दुरुस्त कर फिर से चालू किया जाए.
ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के दो गांव शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के इंदरबनी औरसदर प्रखंड के आसनसोल गांव में मिनी वाटर प्लांट का जायजा लिया. पड़ताल में दोनों वाटर प्लांट खराब मिले. ग्रामीणों का कहना है कि काफी उम्मीदें थी, लेकिन कई महीनों से बेकार हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इसे दुरुस्त कर फिर से चालू किया जाए.
इस संबंध में दुमका जिला परिषद की चेयरपर्सन जॉयस बेसरा भी मानती हैं कि इस वाटर स्कीम का फायदा ग्रामीणों को नहीं मिलता है. उनका कहना है कि सीधे सरकार को अपने स्तर पर इसे देखना चाहिए. इन योजनाओं के निर्माण में लाखों खर्च हुए, लेकिन सब बेकार हो गया.