दुमका:फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल का ICU संसाधन विहीन है. इसके गेट पर भले ही ICU लिखा हो पर व्यवस्था जनरल वार्ड वाली है. ऐसे में जब गंभीर मरीजों को यहां भर्ती कराया जाता है तो उन्हें समुचित इलाज नहीं मिलता. उन्हें हायर सेंटर में रेफर करना पड़ता है. हालांकि कहा ये जा रहा है कि कुछ ही दिनों में सभी संसाधनों से लैस आईसीयू यहां काम करेगा. जिससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाएगा.
Dumka News: 'कोमा' में फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल का आईसीयू, सरकार से बेहतर सुविधा की डिमांड - पीजेएमसीएच के अधीक्षक डॉ अनुकरण पूर्ति
दुमका कहने को तो झारखंड की उपराजधानी है, लेकिन सच्चाई यही है कि बेहतर इलाज के लिए लोगों को आज भी धनबाद या रांची का रुख करना पड़ता है. यहां फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल की भी हालत काफी खराब है.
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दुमका में मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थापित किया गया है, लेकिन यहां मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल रहा है. इतने बड़े अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था तक नहीं है. अस्पताल के द्वितीय तल पर एक वार्ड के बाहर आईसीयू लिखा है. इसके अंदर जाने पर आईसीयू वाली व्यवस्था बिल्कुल नगण्य है. यहां न वेंटिलेटर है, न ही एयरकंडीशनर, न पर्याप्त चिकित्साकर्मी हैं. मतलब एक सामान्य वार्ड वाली स्थिति है. ऐसे में जब कोई गंभीर मरीज इलाज के लिए इस मेडिकल अस्पताल में पहुंचते हैं तो उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिलता है.
आईसीयू की इस लचर व्यवस्था को पीजेएमसीएच के अधीक्षक डॉ अनुकरण पूर्ति भी स्वीकार करते हैं. उनका कहना है कि संसाधनों की कमी की वजह से इसकी यह स्थिति है. कहा हमारे पास इसे चलाने के लिए पर्याप्त मशीनें नहीं हैं. इसके अलावा चिकित्सक और चिकित्साकर्मी की भी कमी है. ऐसे में जब कोई सीरियस पेशेंट हमारे यहां आता है तो हम उन्हें बेहतर सेवा नहीं दे पाते हैं. वैसे मरीजों को रांची के रिम्स या धनबाद रेफर करना पड़ता है.
पीजेएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ. अनुकरण पूर्ति ने जानकारी दी कि मरीजों की परेशानी और आवश्यकता को देखते हुए सिविल सर्जन के साथ मिलकर सरकार को 12 बेड का आईसीयू खोलने का प्रस्ताव दिया गया है. दरअसल आईसीयू में प्रत्येक तीन बेड पर एक एएनएम होनी चाहिए. तीनों शिफ्ट में एक-एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर और एनेस्थेटिक होना चाहिए, जो अभी नहीं है. ऐसे में हम लोगों ने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि पर्याप्त चिकित्सक और चिकित्साकर्मी भी उपलब्ध कराएं ताकि इस मेडिकल कॉलेज में बेहतर आईसीयू की सुविधा मरीजों को उपलब्ध हो पाए.