दुमकाः झारखंड सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई काम कर रही है. शासन प्रशासन पर्यटन स्थलों को विकसित करने की बात तो करती है पर धरातल पर कुछ और ही नजर आता है. दुमका का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चुटोनाथ मंदिर, जहां पर्यटन की असीम संभावना हैं. लेकिन यह मंदिर सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा (temple facing government negligence) है.
झारखंड की उपराजधानी दुमका जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर चुटो पहाड़ के नीचे अवस्थित है चुटोनाथ महादेव का मंदिर (Dumka Chutonath temple). स्थानीय भाषा में लोग इन्हें जो चुटोनाथ बाबा भी कहते हैं. प्रतिदन यहां चुटोनाथ बाबा की पूजा होती है, उनके प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा है. यहां पूजा अर्चना करने के लिए झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल के साथ उत्तर प्रदेश तक से लोग हजारों की संख्या में आते हैं. यहां सच्चे मन से जो भी मांगते हैं बाबा उन्हें जरूर पूरा करते हैं. यहां भगवान शिव, माता पार्वती, मां काली, गणेश भगवान सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं. यहां भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर से लगभग 300 मीटर दूर स्थित है पहाड़ी बाबा का मंदिर. ऐसा कहा जाता है पहाड़ी बाबा अपने भक्तों द्वारा फूल और बताशा चढ़ाने से काफी प्रसन्न होते हैं और उनकी मनचाही मुराद पूरी करते हैं. यहां भक्तों द्वारा बलि देने की भी पुरानी परंपरा है.
सुंदर प्राकृतिक छटाः पहाड़, जंगल और प्रकृति की गोद में बसा चुटोनाथ मंदिर काफी सुंदर धार्मिक और दर्शनीय स्थल (Religious Tourist Place Chutonath Temple) है. चुटोनाथ मंदिर में जो भी श्रद्धालु जो भी दर्शन करने आते हैं, वो पूजा अर्चना के बाद सीधे चुटो पहाड़ पर चढ़ जाते हैं और वहां की सुंदर प्राकृतिक छटा का आनंद लेते हैं. पहाड़ी के ऊपर जाने के लिए एक कच्चा रास्ता बना हुआ है, जिससे लोग आसानी से पहाड़ पर चले जाते हैं और घंटों समय बिताते हैं.
चुटो पहाड़ चढ़ते श्रद्धालु तीन वर्ष पूर्व आए थे तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दासः 3 साल पहले जब झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास थे तो वो अधिकारियों की टीम के साथ यहां पहुंचे थे. इस मंदिर को योजनाबद्ध तरीके से विकसित करने की बात उन्होंने कही थी. लेकिन वो सत्ता में नहीं रहे तो मंदिर के विकास की परियोजना भी ठंडे बस्ते में चली गयी. तत्कालीन मुख्यमंत्री के आने के बाद यहां के लोगों में यह आशा जगी थी कि अब इस मंदिर का विकास होगा. धार्मिक और पर्यटन के मानचित्र पर चुटोनाथ मंदिर अपना स्थान बना सकेगा. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई.
चुटोनाथ मंदिर के आसपास सुंदर प्राकृतिक छटा अब तक नहीं हुआ अपेक्षित विकासः वर्तमान में हेमंत सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटक स्थलों के विकास की बात करती है. लेकिन दुमका का चुटोनाथ मंदिर, जहां हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंचते हैं, सुविधाओं की दृष्टि से यह काफी उपेक्षित (Chutonath temple neglected by government) है. यहां एक भी धर्मशाला अब तक नहीं बन सका. सरकारी स्तर पर वर्षों पहले बनाए गए सामुदायिक भवन की स्थिति भी काफी जर्जर हो चुकी है. यहां पीने के पानी की भी समस्या है. सोलर वाटर प्लांट लगाया गया था, वह भी महीनों से खराब पड़ा हुआ है. इसके साथ ही यहां की सड़कें काफी संकरी है, जिससे भीड़ के समय श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है. मंदिर के पास शिव गंगा सरोवर भी है, जिसकी स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है. इसे स्वच्छ और सुसज्जित कराने की मांग वर्षो से की जा रही है.
क्या कहते हैं पुजारी और श्रद्धालुः ईटीवी भारत की टीम ने इस संबंध में मंदिर के पुजारी और श्रद्धालुओं से बात की. मंदिर के पुजारियों ने बताया कि यहां आधारभूत संरचना के नाम पर कुछ भी नहीं है. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास आए जरूर थे पर उनके आश्वासन के बावजूद विकास कार्य नहीं हो पाया. यहां धर्मशाला की समस्या है, पेयजल की व्यवस्था नहीं है, शिव गंगा उपेक्षित है, सड़कों की स्थिति बदहाल (Chutonath temple in bad shape) है. वहीं मंदिर पहुंचे भक्तों का कहना है कि चुटोनाथ बाबा के प्रति उनकी असीम श्रद्धा है, वो हमेशा यहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं. यहां जो भी मांगते हैं बाबा उनकी मनोकामना पूरी करते हैं. लेकिन इस मंदिर का जो विकास होना चाहिए वह नहीं हो पाया. सरकार इसे विकसित करने की दिशा में आवश्यक पहल करे ताकि आम भक्तों को सहूलियत मिल सके.
सरकार को ध्यान देने की आवश्यकताः दुमका का चुटोनाथ मंदिर, जहां प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं वहां के प्रति सरकार की जो गंभीरता नजर आनी चाहिए वह अब तक सामने नहीं आई है. अगर चुटोनाथ मंदिर परिसर को विकसित किया जाता है तो श्रद्धालुओं को पर्यटकों को सुविधा तो होगी. साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे इलाके का विकास होगा. निश्चित तौर पर सरकार को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाना चाहिए.