दुमकाःझारखंड सरकार ने दुमका में जिला संयुक्त अस्पताल खोला है. इस अस्पताल में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी पद्धति से लोगों का इलाज होना है. शहर के बीचों-बीच बड़ी लागत से इस अस्पताल को खोल तो दिया गया, लेकिन इसके प्रति सरकार का रवैया उदासीन नजर आ रहा है. इस अस्पताल में एक भी पद्धति आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक के चिकित्सक नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां एक भी दवा उपलब्ध नहीं है.
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अस्पताल में नहीं आते मरीज
अब न डॉक्टर हैं और न दवा तो मरीज भला क्यों यहां आएंगे. मरीजों ने भी यहां आना छोड़ दिया है, लेकिन यहां चतुर्थवर्गीय कर्मचारी और कंपाउंडर हैं. इनके वेतन मद और अस्पताल का कुछ अन्य खर्च भी है. मतलब अस्पताल का स्टैब्लिशमेंट कॉस्ट सालाना लाखों रुपये में है. लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी एक भी मरीज को यहां से फायदा नहीं मिलता.
यूनानी पद्धति के दो कंपाउंडर
इस अस्पताल में यूनानी पद्धति के दो कंपाउंडर है. इसमें से एक कंपाउंडर को लिपिक काम देखना पड़ रहा है. एक मो. कलीमुद्दीन और दूसरे मो. कलामुद्दीन है. दोनों बताते हैं कि यहां तो एक भी डॉक्टर नहीं है और न दवा है, इसलिए मरीज भी नहीं आते. पहले जब यह सब उपलब्ध थी तो एक से डेढ़ सौ मरीज आ जाते थे. यह दोनों भी चाहते हैं कि अस्पताल में सरकार सारी व्यवस्था दें ताकि मरीजों का आना जाना हो और यह अस्पताल गुलजार रहे.
देसी चिकित्सा पद्धति के प्रति लोगों का रुझान
दुमका के जिला संयुक्त अस्पताल में व्यवस्था नहीं होने के संबंध में हमने दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की. उन्होंने भी माना कि देसी चिकित्सा पद्धति के प्रति लोगों का रुझान है. हालांकि यहां चिकित्सकों की जो कमी है उस पर उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक पहल की जाएगी.
सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता
सरकार ने मरीजों को लाभ देने के उद्देश्य से यह अस्पताल खोल रखा है. ऐसे में सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, ताकि जिस उद्देश्य से यह खुला हुआ है उसकी सार्थकता साबित हो और लोगों को इससे फायदा मिल सके.