दुमका: आज अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस है. इसको लेकर विश्व में कई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. दिव्यांग जनों की बेहतरी के लिए कई तरह से सरकारी उपाय किए गए. लेकिन जिला में भी दिव्यांगों को बेहतर भविष्य देने के लिए 17 वर्ष पहले सरकार के समाज कल्याण विभाग की तरफ से विकलांग पुनर्वास केंद्र स्थापित किया गया था. शुरू में में इसे सरकारी स्तर पर ही चलाया गया बाद में इस केंद्र के संचालन का जिम्मा एक संस्थान को दे दिया गया.
बिना अनुदान के बंद हुआ केंद्र
इसके एवज में संस्थान को सरकारी अनुदान दिया जाता था. यहां दिव्यांगों को प्रमाण पत्र, उनकी पेंशन, उनके लिए आवश्यक संयंत्र उपलब्ध कराने की दिशा में पहल की जाती थी. बीच-बीच में उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए आजीविका-रोजगार से जुड़े प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होती थी. कुछ वर्षों तक सब ठीक-ठाक चला लेकिन बाद में इसका अनुदान आना बंद हो गया. इसमें जो कर्मी में थे उन्हें जो मामूली मानदेय या प्रोत्साहन राशि मिलती थी वह रुक गया. इस वजह से यह केंद्र पूरी तरह से बंद हो गया है.
केंद्र के भवन की स्थिति जर्जर
दुमका-पाकुड़ रोड पर स्थित इस जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र का परिसर लगभग 2 एकड़ का है. इसमें जो भवन बनाया गया था. आज वह देखरेख के अभाव में अत्यंत जर्जर हो गया है. दरवाजे-खिड़की तक बाहर निकल आई है. भवन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि खुद इसे सहारे की जरूरत है.