संवाददाता मनोज केशरी की रिपोर्ट दुमका: झारखंड सरकार पशुपालकों को प्रोत्साहित करने की बात करती है. मुफ्त में मवेशी उपलब्ध कराए जाते हैं ताकि लोगों को आजीविका उपलब्ध कराई जा सके, लेकिन इसके लिए जो पशु चिकित्सालय है, उसकी स्थिति काफी दयनीय है. हम बात कर रहे हैं झारखंड की उपराजधानी दुमका के पशु रेफरल अस्पताल की. इस अस्पताल में काफी संख्या में लोग अपने पशुओं के इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन यहां संसाधनों का काफी अभाव है. जबकि पूरे झारखंड का एकमात्र पशु रेफरल अस्पताल दुमका में ही अवस्थित है.
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2012 में स्थापित हुआ था पशुओं का यह अस्पताल: दुमका में पशुओं के लिए एक ऐसा अस्पताल पिछले ग्यारह साल से चल रहा है, जिसमें हर साल 50 हजार से अधिक पशु-पक्षियों का इलाज हो रहा है. जरूरत पड़ने पर पशुओं की सर्जरी तक की जाती है. इसके बावजूद झारखंड के इकलौते अस्पताल में अब तक पदों का सृजन सरकार नहीं कर सकी है. प्रतिनियोजन में इस अस्पताल को एक चिकित्सक और चार कर्मचारी मिलकर चला रहे हैं. दरअसल, झारखंड सरकार के पशुपालन विभाग ने प्रमंडल स्तर पर रेफरल पशु अस्पताल, पेट क्लिनिक और पैथोलॉजिकल लैब की स्थापना का प्रस्ताव तैयार किया था. पेट क्लिनिक राज्य के आठ स्थानों पर चल रहे हैं, जबकि रेफरल पशु अस्पताल केवल संंथाल परगना प्रमंडल के दुमका में ही चालू हो सका है. इस रेफरल पशु अस्पताल में सभी तरह के पक्षियों से लेकर हाथी यानी हर तरह के पशु-पक्षी के इलाज की व्यवस्था है.
धूल फांक रहा है सुसज्जित लैब: इस पशु रेफरल अस्पताल में लाखों रुपये के अत्याधुनिक उपकरणों और मोबाइल एनालाइजर आदि मुहैया कराये गये थे. इस रेफरल पशु अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर-लोबोरेटरी, सोनोग्राफी, एक्स-रे जैसी यूनिट हैं, लेकिन विशेषज्ञ के न रहने से इन मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है.
दस साल हो गये पत्राचार करते-करते: इस अस्पताल में पदों का सृजन हो साथ ही साथ मानव संसाधन की बहाली के लिए अस्पताल स्थापन के समय से ही पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई. इसे विडंबना ही कहा जाए कि 2012 से चल रहे इस रेफरल पशु अस्पताल को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए सरकार अब तक नीति नहीं बना सकी है. यह रेफरल पशु अस्पताल ऐसा बना है कि आरंभिक दौर में पशु शल्य चिकित्सक कुत्तो के गंभीर बीमारी तक का ऑपरेशन किया करते थे. बाद में उत्साह घटा तो मामूली ऑपरेशन और इलाज तक ही सेवायें सिमट कर रह गयी. अब तो उतनी दवाइयां भी यहां उपलब्ध नहीं होती. ऐसे में पशुपालकों को बाजार से भी दवा खरीदकर पशुओं का इलाज पूरा कराना पड़ता है.
राज्य के पशुपालन मंत्री दुमका जिले से ही हैं विधायक: उपराजधानी के पशु रेफरल अस्पताल की बदहाल स्थिति के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया जा सकता है. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि झारखंड सरकार के पशुपालन विभाग के मंत्री बादल पत्रलेख दुमका जिले के ही जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि उनका ध्यान इस महत्वपूर्ण अस्पताल के प्रति नहीं है.
सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: जिस अस्पताल में प्रति वर्ष 50,000 पशुओं का इलाज हो रहा हो और उसकी स्थिति बदहाल है तो यह काफी चिंताजनक स्थिति है. झारखंड सरकार और खास तौर पर राज्य के पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख को अविलंब इस अस्पताल पर ध्यान देने की आवश्यकता है.