दुमकाः सरकारी जनकल्याण के लिए कोई योजना शुरू तो करती है लेकिन इसका सही लाभ जरूरतमंदों को मिल पा रहा है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग सही ढंग से नहीं करती. नतीजा यह होता है कि उपयोगी योजना भी दम तोड़ देती है. कुछ ऐसा ही हुआ दुमका के बालीजोर गांव में बाली फुटवेयर का.
दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड के बालीजोर गांव में जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बाली फुटवेयर के नाम से चप्पल निर्माण का काम शुरू कराया था. काफी तामझाम से यह चालू हुआ, लेकिन इस उपयोगी योजना की उचित मॉनिटरिंग नहीं हुई. नतीजा यह हुआ कि 1 साल में ही बाली फुटवेयर का निर्माण बंद हो चुका है. इसकी मशीनें अब टूटने फूटने लगी है. गांव वालों ने बेहतर कल के जो सपने देखे थे वह चकनाचूर हो गए जिससे वे काफी दुखी हैं.
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फुटवेयर मेन्यूफैक्चरिंग का ट्रेनिंग सेंटर बनकर तैयार
बालीजोर गांव में चप्पल व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए उस वक्त प्रशासन ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी. लाखों की लागत से फुटवेयर मेन्युफैक्चरिंग का एक प्रशिक्षण केंद्र भी बनाकर तैयार किया गया था, जो बंद पड़ा हुआ है. वहीं जहां पर ग्रामीण चप्पल का निर्माण करेंगे, उसके लिए एक फैक्ट्री भी बनना शुरू हुआ लेकिन फैक्ट्री का निर्माण कर पूरा होने के बाद इसका क्या इस्तेमाल होगा यह कहना मुश्किल है.