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यहां सूर्यास्त के बाद बनती है मां काली की मूर्ति, सूर्योदय से पहले हो जाता है विसर्जन, बलि की भी है प्रथा - काली मंदिर बलि प्रथा

धनबाद के मां रक्षा काली मंदिर में काली पूजा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां मां की मूर्ति का निर्माण रातोंरात कर सुर्योदय से पहले विसर्जित कर दी जाती है.

रक्षा काली मंदिर

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Published : Oct 27, 2019, 10:38 PM IST

धनबाद: कोयलांचल के गोविंदपुर नीचे बाजार स्थित मां रक्षा काली मंदिर में काली पूजा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. रात में बलि भी होती है. छठ तालाब से स्नान कर दंडवत होते हुए श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी मनोकामना मांगी जाती है, मां उसे पूरा करती हैं.

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गौरतलब है कि मां रक्षा काली मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि 10 हजार से भी ज्यादा की संख्या में यहां पर श्रद्धालु पहुंचते हैं. सभी मां की पूजा आराधना करते हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि काली मां की मूर्ति एक ही दिन में तैयार होती है. दूसरे दिन सूर्योदय से पहले मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है. यहां पर काली पूजा के दिन रात 12 बजे से बलि भी दी जाती है.

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वहीं, मंदिर में आए श्रद्धालुओं ने बताया कि इस मंदिर में मां से जो भी मनोकामना मांगी जाती है. वह जरूर पूरी होती है. श्रद्धालु बताते हैं कि उनके पूर्वज इस मंदिर में शुरू से आया करते थे. यह मंदिर हजारों साल पुरानी है और पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है.

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