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IIT-ISM धनबाद में जल्द शुरू होंगे दो नए अंतरराष्ट्रीय कोर्स, जानिए कैसा होगा सिलेबस - mining sector studies dhanbad

धनबाद के आईआईटी-आईएसएम(IIT-ISM) ने खनन को देखते हुए डीप-सी माइनिंग में पढ़ाई और अनुसंधान को लेकर अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है.

Two new international courses will start soon in IIT-ISM Dhanbad
IIT-ISM धनबाद में जल्द शुरू होंगे दो नए अंतरराष्ट्रीय कोर्स, जानिए कैसा होगा सिलेबस

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Published : Jul 14, 2021, 5:47 PM IST

धनबाद:आने वाले समय में जहां देश को ऊर्जा और खनिज जरूरतों को पूरा करने के लिए नए क्षेत्रों में माइनिंग की जरूरत पड़ेगी. आज सघन आबादी वाले क्षेत्रों में ओपन कास्ट माइनिंग पर्यावरण(Open Cast Mining Environment) पर असर डाल रही है. इसलिए माना जा रहा है कि ओपन कास्ट माइनिंग का भविष्य ज्यादा दिनों का नहीं है. इसी को ध्यान में रखकर आईआईटी-आईएसएम(IIT-ISM) ने भविष्य के खनन को देखते हुए अपने अग्रिम क्षेत्र में डीप सी माइनिंग यानी गहरे समुद्र में खनन(mining) और ग्रहों में खनन की पढ़ाई और अनुसंधान को लेकर तैयारी शुरू कर दी है.

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इस विषय की पढ़ाई के लिए सिलेबस तैयार किया जा रहा है. भारत सरकार ने भी एक्सप्लोरेशन के लिए अपनी इच्छा जताई है और गहरे समुद्र तल में माइनिंग(mining) को लेकर तैयारी शुरू की है. आईआईटी-आईएसएम के प्रोफेसर धीरज कुमार के मुताबिक समुंद्र के गहरे तल में बहुत सारे बेशकीमती खनिज तत्व भरे पड़े हैं, जिस पर शोध करने से देश की खनिज जरुरतों को पूरा किया जा सकता है. चूंकि समुंद्र तल के 4 से 5 हजार मीटर नीचे जाकर खनन करने की जरूरत पड़ेगी, वहीं दूसरे ग्रहों पर रोबोट के जरिए खनन करने की आवश्यकता पड़ेगी.

नए अनुसंधान और उपयोग की तैयारी

आईआईटी-आईएसएम धनबाद ने इस विषय की पढ़ाई के लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है, ताकि भविष्य में इसके लिए छात्रों को तैयार किया जा सके. वहीं, भारत में ओसीपी माइंस यानी ओपन कास्ट माइंस के भविष्य को देखते हुए अंडरग्राउंड माइनिंग और सस्टेनेबल माइनिंग जरूरी होगी. क्योंकि वर्तमान में ओपन कास्ट माइनिंग के बाद एक से दो किलोमीटर नीचे जाने के लिए नए तकनीक की जरूरत पड़ती है. आने वाले समय में ओपन कास्ट माइनिंग और नीचे से खनिज पदार्थों को निकालने के लिए बेहतर तकनीक की आवश्यकता होगी और ऐसे में नए अनुसंधान और उपयोग की तैयारी शुरू करना होगा. समुद्र तल के नीचे खोज शोध और उपयोग को लेकर इंटरनेशनल सी-बेड अथॉरिटी ने भी अपनी ओर से स्वीकृति दे दी है.

धनबाद IIT-ISM का माइनिंग विभाग

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यही कारण है कि पहले एक्सप्लोरेशन की जाएगी और फिर माइनिंग की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. यानी कुछ सालों के बाद भविष्य की माइनिंग गहरे समुद्र और ग्रहों की माइनिंग पर आधारित होगी. सेफ्टी और स्मार्ट माइनिंग के साथ ही सस्टेनेबल माइनिंग पर विशेष ध्यान दी जाएगी. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो डीप सी माइनिंग और एस्ट्रॉयड माइनिंग का कोर्स जल्द ही आईआईटी आईएसएम धनबाद के सिलेबस में शामिल होगा. इस पर मंथन शुरू हो गया है.

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