धनबादः झरिया कोयलांचल में कोयले की बड़ी-बड़ी खदानें स्थापित हैं. एक बड़ी आबादी खदानों से निकलने वाली कोयला चुनकर बेचती है. जिससे इनका जीवन चलता है. बड़े से लेकर बच्चे तक यहां कोयला चुनने का काम करते हैं, बच्चे कोयला चुनकर बेचते हैं. जिससे इनके परिवार का भरण पोषण होता है. ऐसा नहीं है कि बच्चे पढ़ लिखकर कुछ अच्छा नहीं करना चाहते हैं. उनके अंदर भी करने की इच्छा है. लेकिन उनके माथे पर लिखी कोयला चोर उन्हें आगे बढ़ने नहीं देती.
पिनाकी ने उठाया बीड़ा
डिनोबिली स्कूल में बतौर टीचर पिनाकी राय को इनकी व्यथा देखी नहीं गई. उन्होंने साल 2015 में कोलफील्ड चिल्ड्रन क्लासेस की झरिया के हेटली बांध में स्थापना की. कोयला चुनने वाले बच्चे आज यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं. धीरे-धीरे यहां बच्चों का आना यहां शुरू हुआ और सैकड़ों बच्चे लाभांवित हो रहे हैं. वर्तमान में तीन स्थानों पर यह क्लासेज कराई जा रही है. चिल्ड्रेन क्लास से जुड़े सात बच्चे मैट्रिक पास कर चुके हैं.
शिक्षा से बदल सकते हैं भविष्य
पिनाकी राय का कहना है कि बीसीसीएल ऐसे बच्चों को कोयला चोर कहकर उन्हें डेमोरलाइज करने का काम करती है. उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक समस्या है. इसे दूसरे एंगल से देखने की जरूरत है. शिक्षा के माध्यम से ही इन बच्चों के भविष्य को बदल सकते हैं. उन्होंने बताया कि विदेशी संस्था भी हमारे इस कार्य से प्रेरित होकर सहयोग कर रही है. जर्मन की एक संस्था की ओर से आर्थिक सहयोग किया जा रहा है. बच्चों को फ्री में कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए फ्रांस (पेरिस) ऑन दी वे स्कूल के प्रेजिडेंट डेजी निकोलस, एनी मोरिया, फाउंडर बेली थॉमस फगुआ ने तीन डेस्कटॉप कंप्यूटर उपलब्ध कराया है. इसके जरिए बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है. कुछ भारतीय कंपनियां भी आगे आई हैं. पिनाकी राय चाहते हैं कि राज्य सरकार के साथ मिलकर इस कार्य को करें. कोल इंडिया को भी इसे सामाजिक समस्या के रूप में लेना चाहिए.
दाग धोने की दरकार