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गैंगस्टर अमन सिंह हत्याकांड में सवालों के घेरे में जेल अस्पताल प्रभारी, घटना के दिन ऑन ड्यूटी फिर छुट्टी - बीपी और शुगर की समस्या

Role of Dhanbad jail hospital incharge doubtful. धनबाद जेल में अमन सिंह की हत्या और उसी दिन जेल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक का छुट्टी पर चले जाना कई सवाल और आशंकाओं की ओर इशारा करता है. साथ ही मामूली बीमारी में भी कैदियों को अस्पताल में भर्ती रखने पर उनकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.

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Role Of Dhanbad Jail Hospital Incharge Doubtful

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 6, 2023, 10:44 PM IST

धनबादः जेल अस्पताल के प्रभारी डॉ राजीव कुमार सवालों के घेरे में हैं. धनबाद जेल में अपराधी अमन सिंह की हत्या के बाद से जिले के डॉक्टर उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहें हैं, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. सबसे बड़ी बात कि 3 नवंबर रविवार को गैंगस्टर अमन सिंह को जेल के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. घटना के दिन वह अस्पताल में मौजूद थे, लेकिन घटना के ठीक बाद वह छुट्टी पर चले गए. बकायदा उन्होंने छुट्टी की अर्जी भी विभाग को दे रखी थी.

दो नवंबर को ही स्वास्थ विभाग में छुट्टी की अर्जी दे रखी थीः जिले के सदर अस्पताल के प्रभारी की माने तो उन्होंने 2 नवंबर यानी सोमवार को ही स्वास्थ विभाग में छुट्टी की अर्जी दे रखी थी. घटना के बाद तीन सदस्यीय डॉक्टरों की एक टीम सिविल सर्जन के द्वारा गठित की गई थी. डॉक्टरों की गठित टीम ने जेल अस्पताल में भर्ती सभी 31 कैदियों की स्वास्थ्य जांच की गई. जिसमें दो को छोड़कर बाकी अन्य कैदी अस्पताल में भर्ती रहने के लायक नहीं थे. उन्हें साधारण बीपी, शुगर की समस्या थी. जिन्हें इलाज के फौरन बाद जेल के वार्ड में रहना चाहिए था.

मामूली स्वास्थ्य समस्या पर भी कई कैदियों को अस्पताल में भर्ती रखा थाः जेल में गोलीबारी की घटना के बाद सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल के प्रभारी डॉ राजकुमार सिंह, डॉ संजीव कुमार और डॉ अब्दुल आजाद की तीन सदस्यीय टीम गठित की थी. जिन्होंने जेल अस्पताल में भर्ती सभी 31 कैदियों की स्वास्थ्य जांच. डॉ राजकुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि जेल अस्पताल के प्रभारी डॉ राजीव कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है. उनके नेतृत्व में गठित टीम ने जेल अस्पताल में भर्ती कैदियों की स्वास्थ जांच की. जिसमें 29 कैदियों को मामूली बीपी और शुगर की समस्या थी. जिन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छोड़ दिया जाना चाहिए था. उन्हें भर्ती रखने की कोई आवश्यकता नहीं थी. दो डिसेबल्ड कैदी भी भर्ती थे. इन दोनों का भर्ती रहना अनिवार्य था. क्योंकि उनके लायक बाथरूम की व्यवस्था जेल के अस्पताल में नहीं है. शेष 29 कैदियों को टीम ने स्वास्थ्य जांच की और इसके बाद सभी कैदियों को जेल के वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है.

जेल अस्पताल के प्रभारी की कार्यशैली पर उठ रहे सवालः गैंगस्टर अमन सिंह की हत्या के बाद जेल अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर राजीव कुमार का उसी दिन छुट्टी पर चला जाना कई सवाल खड़े कर रहा है. 29 वैसे कैदी जिन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छोड़ा जा सकता था, उन्हें भी अस्पताल में रखना कहीं ना कहीं उनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा कर रहा है.

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