क्या कहते हैं सिविल सर्जन धनबाद: कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों को धनबाद सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा मिले. इसको लेकर पीएम केयर फंड से सदर अस्पताल को 60 अत्याधुनिक वेंटिलेटर मिला. लेकिन संचालित एक भी वेंटिलेटर नहीं है. स्थिति यह है कि दर्जन भर वेंटिलेटर जस का तस रखा हुआ है.
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सदर अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चे या फिर नवजात इलाज करने पहुंचे और इन मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत है तो उन्हें एसएनएमएमसीएच या फिर निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है. हालांकि, सिविल सर्जन कहते हैं कि कचरे में नहीं, स्टोर में रखा गया है. वेंटिलेटर चलाने को लेकर संसाधन उपलब्ध हो जाएगा, तो मरीजों को भी वेंटिलेटर की सुविधा मिलने लगेगी.
सदर अस्पताल में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण वेंटिलेटर संचालित नहीं हो रहा है. पिछले दिनों धनबाद पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सदर अस्पताल का निरीक्षण किया और हिदायत दी कि बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराये. इसके बावजूद अस्पताल में बेहतर चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल रही है.
अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी नहीं है. लेकिन अधिकतर डॉक्टर ड्यूटी से गायब रहते हैं. सोमवार को डॉ संतोष कुमार, मंगलवार को मंगेश, बुधवार को डॉ पल्लवी, गुरुवार को राजेंद्र कुमार, शुक्रवार को डॉ मंगेश, शनिवार को डॉ जितेंद्र कुमार एवं रविवार को डॉ मंगेश ऑन कॉल ड्यूटी रोस्टर बनी हई है. लेकिन ड्यूटी पर डॉ मंगेश के अलावे कोई डॉक्टर नहीं आते हैं.
साल 2020 में पीएम केयर्स फंड से वेंटिलेटर खरीदा गया, जो जिला आपदा प्रबंधन की ओर से अस्पताल को उपलब्ध कराया गया है. बता दें कि कोरोना काल में वेंटिलटर की सुविधा मिल रही थी. लेकिन अब संक्रमण खत्म होने के बाद सामान्य मरीजों को इसकी सुविधा नहीं मिल रही है.
दूसरी ओर सदर अस्पताल से महज छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल है. हर दिन यहां पर 1000 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं. लेकिन दुर्भाग्य है कि गंभीर मरीजों को यहां पर वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिल पा रही है. जहां वेंटीलेटर है वहां उसका उपयोग नहीं हो रहा है. विभागीय अधिकारियों की माने तो एक वेंटिलेटर की कीमत लगभग आठ लाख रुपए है.