धनबाद: कोयलांचल धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है. यहां के कोयले ने देशभर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है. धनबाद में कोयला और पानी दोनों से बिजली भी बनाई जाती है, लेकिन उसके बावजूद बिजली की समस्या और पीने के पानी की समस्या के लिए भी कोयलांचल को जाना जाता है. अब पानी की समस्या का निदान होने वाला है. नगर विकास विभाग की ओर से जुडको के सहयोग से एक ऐसा कार्य किया जा रहा है, जो पानी की समस्या को झेल रहे धनबाद वासियों के लिए वरदान साबित होगा.
संप से मिलेगी पानी की समस्या से मुक्ति, बगैर बिजली भी होगी पानी की सप्लाई - मैथन डैम
धनबाद में बिजली और पीने के पानी की समस्या है. अब पानी की समस्या का निदान होने वाला है. नगर विकास विभाग की ओर से जुडको के सहयोग से एक ऐसा कार्य किया जा रहा है, जो पानी की समस्या को झेल रहे धनबाद वासियों के लिए वरदान साबित होगा.
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इसका निर्माण कार्य एलएंडटी कंपनी की ओर से किया जा रहा है. इस योजना के पूरा हो जाने से शहर के पुराना बाजार, गांधी नगर धनसार, जोड़ा फाटक, बैंक मोड़, बरटांड, जगजीवन नगर, हीरापुर, धैया, स्टील गेट, कोला कुसमा जैसे इलाकों में पानी की सप्लाई की जाएगी. स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे झारखंड में ही बिजली की समस्या होती रहती है और झारखंड में पहाड़ों की कोई कमी भी नहीं है तो जहां जा भी इस प्रकार के पहाड़ है. उन सभी जगहों पर ऐसी योजना चालू करनी चाहिए ताकि लोगों को पीने की पानी जैसी समस्या से राहत मिल सके. फिलहाल नगर निगम इलाके में ही पानी की सप्लाई की जाएगी. जिसको लेकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि यह पहाड़ पूरे धनबाद की संपत्ति है और इस प्रकार का लाभ ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके के लोगों को मिलना चाहिए.
इस संप के निर्माण में करोड़ों खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. जुडको प्रोजेक्ट मैनेजर डेनियल आजाद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इसका निर्माण कार्य एलएनटी कंपनी की ओर से किया जा रहा है और जुडको इसकी मॉनिटरिंग करने का काम कर रहा है. लगभग साल भर में इस संप का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. इस योजना के तहत लगभग 500 किलोमीटर तक पाइप लाइन बिछाया जा रहा है. पाइप लाइन बिछाने का काम 50% तक पूरा हो भी चुका है. इस योजना के पूर्ण होने के बाद लगभग 50 हजार से अधिक घरों में पानी पहुंचाया जाएगा. जिससे पानी की समस्या झेल रहे लाखों लोगों को इसका लाभ मिलेगा. अब इस योजना का धरातल पर उतरने का इंतजार है.