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धनबादः गांजा तस्करी मामले में SDPO को शोकॉज, थाना प्रभारी हो चुके हैं निलंबित - फर्जी तरीके से कोलकर्मी को जेल भेजने की जांच

धनबाद में कोलकर्मी को फर्जी तरीके से जेल भेजने के मामले में लगातार जांच जारी है. डीआईजी ने अब सडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.निरसा थाना के अन्य पुलिस अधिकारी और जवान भी जांच के दायरे में हैं. डीआईजी द्वारा जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

गांजा तस्करी मामले में SDPO को शोकॉज
गांजा तस्करी मामले में SDPO को शोकॉज

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Published : May 18, 2020, 9:15 AM IST

धनबादः जिले में कोलकर्मी को फर्जी तरीके से जेल भेजने के मामले में लगातार कार्रवाई जारी है. निर्दोष ईसीएल कोलकर्मी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी में जेल भेजने के मामले की जांच में बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार द्वारा पिछले दिनों जहां निरसा थाना प्रभारी उमेश कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया था, वहीं इस दिशा में जांच आगे बढ़ाते हुए डीआईजी ने निरसा एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. एसडीपीओ से मामले में कई सवालों के जवाब मांगे गए हैं.

गांजा तस्करी में कोलकर्मी चिरंजीत घोष को जेल भेजने और फिर न्यायालय में डायरी के माध्यम से तथ्यों की भूल बताए जाने के मामले की बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार जांच को लेकर कोई कोताही नही बरत रहें हैं.

उनके द्वारा लगातार इस मामले की काफी तीव्र गति से जांच की जा रही है. 22 अप्रैल को एक शिकायत के आधार पर सीआईडी एडीजी अनिल पाल्टा द्वारा बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार को जांच का निर्देश दिया गया था.

शुरुआती जांच में निरसा थाना प्रभारी उमेश कुमार सिंह को दोषी पाए जाने पर डीआइजी द्वारा उन्हें निलंबित किया गया था. वहीं अब मामले की जांच को आगे बढ़ाते हुए निरसा एसडीपीओ विजय कुशवाहा और पूर्व एसएसपी किशोर कौशल की भूमिका की जांच की जा रही है.

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निरसा थाना के अन्य पुलिस अधिकारी और जवान भी जांच के दायरे में हैं. डीआईजी द्वारा जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है. रिपोर्ट तैयार होने के बाद पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट सौंपी जाएगाी.

बता दें कि एक टवेरा कार से 25 अगस्त को निरसा पुलिस ने 39 किलो गांजा बरामद किया था.कोलकर्मी चिरंजीत घोष को इस मामले में पुलिस ने जेल भेज दिया था. चिरंजीत घोष की पत्नी सावेल श्रावणी बंगाल में कॉन्स्टेबल के पद पर कार्यरत है. पत्नी द्वारा मामले की शिकायत सीएम से की गई थी. शिकायत के बाद न्यायालय में पुलिस की ओर से डायरी सौंपी गई थी, जिसमें पुलिस द्वारा तथ्यों की भूल बताई गई थी. 27 दिनों तक कोलकर्मी के जेल में रहने में बाद जेल से छूटा था.

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