धनबादःझारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर रविवार को डालसा की ओर से एक दिवसीय जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन न्यू टाउन हॉल में किया गया. जिसका उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री राम शर्मा, डीडीसी शशि प्रकाश सिंह, ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन, बार एसोसिएशन के महासचिव जितेंद्र कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. पॉस्को और एमएसिटी केस को लेकर पुलिस और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था.
Dhanbad News:मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यशाला में बोले प्रधान जिला न्यायाधीश, पॉस्को और एमएसीटी मामले में पुलिस त्वरित करे कार्रवाई
डालसा की ओर से मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन धनबाद में किया गया. जिसमें न्यायिक पदाधिकारियों ने पुलिस को पॉस्को एक्ट और एमएसीटी की विस्तार से जानकारी दी.
पॉस्को के विशेष न्यायाधीश ने पुलिस अफसरों को दी अहम जानकारीः मीडिया से बातचीत के दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री राम शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई फैसले आते हैं. सुप्रीम कोर्ट से उन फैसलों में आधार पर हमें समय-समय पर दिशा-निर्देश मिलते रहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हम साल में दो बार इस तरह की कार्यशाला का आयोजन करते हैं. जिसमें पोस्को एक्ट और एमएसीटी संबंधित और सरकार की दूसरी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है. उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दौरान पॉस्को के विशेष न्यायाधीश प्रभाकर कुमार सिंह ने पुलिस को कई अहम जानकारी दी. पीड़िता को सुरक्षा मुहैया कराने, कोर्ट में गवाही के लिए पीड़िता को लाने और उसे घर पहुंचाने की जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि पॉस्को एक्ट के मामले में पुलिस को संवेदनशील रहने की जरूरत है. मामले में मुआवजा का भी प्रावधान है. समय-समय पर डीसी और एसएसपी के साथ मिलकर इस पर पहल करते हैं.
मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के विषय में जिला जज ने विस्तार से बतायाः एमएसीटी यानी मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के बारे में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री राम शर्मा द्वारा कार्यशाला में जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि सड़क हादसे में परिवार के मुखिया की मौत होने के बाद उस परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो जाती है. ऐसे मामलों में पुलिस इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को 30 दिन के अंदर घटना के सारे डाक्यूमेंट्स न्यायालय को सौंप देने की जरूरत है. पुलिस इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर द्वारा सभी डाक्यूमेंट्स जमा करने के बाद ही कोर्ट इंश्योरेंस को क्लेम के लिए भेजती है. इंश्योरेंस पीड़ित पक्ष को जो ऑफर देती है, यदि पीड़ित को वह मंजूर हो जाता है तो 30 से 60 दिन के अंदर मामले का निपटारा हो जाता है. इंश्योरेंस द्वारा ऑफर अमाउंट कम लगने पर पीड़ित आगे भी मुकदमा लड़ सकते हैं. पीड़ित किसी वकील के माध्यम से 161 का केस भी कोर्ट में दायर कर सकते हैं. अदालत दोनों के केस को एक साथ जोड़कर देखती है.