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कोयलांचल में याद किए गए खुदीराम बोस, BCCL के अधिकारियों और कर्मियों ने दी श्रद्धांजलि - पुण्यतिथि पर याद किये गए खुदीराम बोस

देश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले वीर शहीद क्रांतिकारी खुदीराम बोस का आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. मंगलवार को बीसीसीएल पूर्वी झरिया के क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में मंगलवार को अधिकारियों और कर्मियों ने स्वतंत्रता सेनानी शहीद खुदीराम बोस को याद किया और उनकी पुण्यतिथि मनाई.

Khudiram Bose remembered on his death anniversary in dhanbad
Khudiram Bose remembered on his death anniversary in dhanbad

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Published : Aug 11, 2020, 8:11 PM IST

धनबाद: बीसीसीएल पूर्वी झरिया के क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में मंगलवार को अधिकारियों और कर्मियों ने स्वतंत्रता सेनानी शहीद खुदीराम बोस को याद किया. महाप्रबंधक गणेश चंद्र साहा सहित अन्य कर्मियों ने शहीद क्रांतिकारी खुदीराम बोस की पुण्यतिथि पर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

अधिकारियों और कर्मियों को संबोधित करते हुए महाप्रबंधक गणेश चंद्र साहा ने कहा कि मात्र 19 साल की अल्प आयु में वतन की आजादी के लिए खुदीराम बोस शहीद हो गए थे. जबकि यह उम्र पढ़ाई और कैरियर बनाने की होती है. उन्होंने निजी जीवन को तिलांजलि देकर भारत की स्वतंत्रता संग्राम को क्रांतिकारी दिशा दिया था. उनका बलिदान तभी सार्थक होगा, जब हम उनके विचारों को आत्मसात करें. उन्होंने कहा कि हमें नई पीढ़ी को शहीद खुदीराम की जीवनी से रूबरू कराना होगा. हर जगह पर उनका सम्मान होना चाहिए. इस मौके पर शिव बालक पासवान, टीएन शर्मा, राजन कुमार, संदीप कुमार, एमपी गुप्ता, पीके दुबे, बीके सिंह, सिंकू बाउरी, पंकज दुबे, राजेंद्र सिंह आदि मौजूद थे.

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खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर, 1889 को बंगाल में मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था. खुदीराम बोस जब बहुत छोटे थे, तभी उनके माता-पिता का निधन हो गया था. उनकी बड़ी बहन ने उनका लालन-पालन किया था. 1905 में बंगाल का विभाजन होने के बाद खुदीराम बोस देश को आजादी दिलाने के लिए आंदोलन में कूद पड़े. सत्येन बोस के नेतृत्व में खुदीराम बोस ने अपना क्रांतिकारी जीवन शुरू किया. महज 18 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले खुदीराम बोस को 11 अगस्त 1908 को फांसी दी गई थी.

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