धनबाद:जिले में सरकार के दावे सबका साथ, सबका विकास दम तोड़ रही है. सरकार इस नारे को धरातल पर उतारने का चाहे लाख दावा करे लेकिन सच तो यह है कि आज भी योजना पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हो पाई है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का आलम देखना है तो बाघमारा के झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय की हालात से वाकिफ होना होगा.
नहीं मिला फंड
सरकार ने 2015 में बाघमारा में झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय की शुरुआत की थी. विद्यालय में 12वीं तक मुफ्त शिक्षा, कपड़े और छात्रवृत्ति जैसी सुविधा देने की बात की लेकिन 2019 आते-आते इस वादे को भुला दिया गया. 2019-20 का सत्र इस विद्यालय में शुरू हो गया लेकिन सरकार ने विद्यालय को अब तक फंड के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं दी.
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बीमार पड़ रही हैं छात्राएं
विद्यालय में फंड के अभाव में नौबत यह आ गई है कि यहां पढ़ रही छात्राओं को अच्छी शिक्षा तो क्या नसीब होगी, इनकी थाली से भोजन ही गायब होने लगे हैं. पहले इस विद्यालय में जहां भोजन के नाम पर बच्चों को मछली, अंडे, दाल मिलते थे वहीं, अब ये छात्राएं सूखी रोटी से काम चला रही हैं. ठंड में गर्म कपड़े और छात्रवृत्ति तो इनके लिए दूर की कौड़ी बन गए हैं. विद्यालय में आलम यह है कि अच्छे भोजन और ठंड के मौसम में गर्म कपड़े के अभाव में यहां पढ़ रही छात्राओं के बीमार पड़ने की नौबत आ गई है. दरअसल, स्कूल के राशन के लिए टेंडर नहीं निकाला गया. टेंडर नहीं निकलने के कारण स्कूल को राशन के लिए दुकान से उधार पर राशन की व्यवस्था करनी पड़ती है. ऐसे हालत में छात्राओं को भोजन आखिर अच्छा मिलेगा भी तो कहां से.
विपक्ष उठा रहा है सवाल
विद्यालय और यहां के छात्राओं के प्रति सरकार की इस उदासीनता को देखते हुए विपक्ष भी सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है. बाघमारा के पूर्व विधायक जलेश्वर महतो वर्तमान विधायक पर सवालिया निशान लगाते हुए कहते हैं कि सरकारी सहयोग से चलने वाले विद्यालय को अगर किसी राशन दुकान से उधार लेकर राशन की पूर्ति करनी पड़ती है तो भला शिक्षण व्यवस्था में सुधार कैसे होगा. इससे साफ पता चलता है कि विधायक शिक्षा के प्रति गंभीर हैं ही नहीं, शिक्षण व्यवस्था उनकी प्राथमिकता में कभी शामिल ही नहीं है.
शिक्षा विभाग भी है लापरवाह
वहीं इस पूरे मामले पर बाघमारा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी दुधेश्वर पासवान कहते हैं कि स्कूल में फंड नहीं मिलने के कारण यह नौबत आई है. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि बच्चियों को खाना तो मिल ही रहा है. वहीं लगभग पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि मामले की जानकारी अपर विभाग को दे दी गई है, जब तक वहां से कुछ ऑर्डर नहीं आता तब तक कुछ नहीं किया जा सकता.
सरकार और शिक्षा विभाग जब दोनों में से कोई इस विद्यालय की सुध नहीं लेगा तो इन छात्राओं का क्या होगा. जल्द ही नया सत्र शुरू होने वाला है और आज तक पुराने सत्र की राशि का बकाया होना यह बताता हे कि शिक्षा पर दावे चाहे लाख किए जाए लेकिन यह किसी की प्राथमिकता में शामिल नहीं होता.