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जय भीम के साथ जय मीम का कोई सरोकार नहीं, ये ना व्यावहारिक है और ना ऐतिहासिक

भारत को विखंडित करने की कोशिश के लिए जय भीम और जय मीम का नारा लगाया जा रहा है, ये नारा ना व्यावहारिक है और ना ऐतिहासिक है. ये कहना है भाजपा अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सह बीजेपी विधायक अमर बाउरी का. धनबाद में आयोजित BJP Scheduled Caste Morcha की तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन शुक्रवार मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहीं.

Jai Bhim slogan being raised for try to divide India said BJP MLA Amar Bauri
बीजेपी विधायक अमर बाउरी

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Published : Aug 27, 2022, 9:37 AM IST

Updated : Aug 29, 2022, 8:14 AM IST

धनबाद: झारखंड भाजपा में चंदनकियारी से विधायक एवं अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष (BJP Scheduled Caste Morcha) व झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री अमर बाउरी ने जय भीम और जय मीम का नारा लगाने वाले लोगों और राजनीतिक पार्टियों पर कटाक्ष (Political statement of BJP MLA) किया है. उन्होंने कहा कि भारत को विखंडित करने वाले लोग इस प्रकार का नारा लगा रहे (Amar Bauri statement over Jai Bhim and jai meem slogan) हैं.

धनबाद में बीजेपी विधायक अमर बाउरी ने पार्टी कार्यक्रम में शिरकत की. यहां उन्होंने कहा कि जय भीम और जय मीम का नारा ना सिर्फ अव्यावहारिक है बल्कि हमारी सामाजिक समरसता के खिलाफ भी है क्योंकि इसमें एक वर्ग शासक है तो दूसरा शोषित है. आगे उन्होंने कहा कि वर्षों तक मुस्लिम शासकों ने हम पर राज किया और हमारे साथ छुआछूत की. अंग्रेजी शासन के दौरान भी नाली, गली की साफ सफाई कराने के लिए दलित जाति का उपयोग किया गया. सबसे अधिक अत्याचार भी दलितों पर किया गया और वही लोग अब हमारे हितैषी बनने का ढोंग कर रहे हैं. संत रविदास को धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया गया ताकि भारत के सामाजिक समरसता को खत्म किया जा (slogan being raised for try to divide India) सके. ये बातें अमर बाउरी ने भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के 3 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन मीडिया से बात करते हुए कहीं.

बीजेपी विधायक अमर बाउरी


उन्होंने कहा कि भारत को विखंडित करने की मानसिकता वालों को इतिहास भी जानना चाहिए. उन्होंने देश विभाजन के वक्त पाकिस्तान जाकर विधि मंत्री बनने वाले योगेंद्र मंडल का उदाहरण देते हुए जय भीम और जय मीम के नारे के पीछे की खौफनाक सच्चाई बतायी. उस घटना के बारे में उन्होंने बताया कि भारत के विभाजन के बाद वो पाकिस्तान चले गए और वहां लियाकत अली की सरकार में कानून मंत्री बनाए गए. लेकिन 1952 में वो इस्तीफा देकर उन्होंने पाकिस्तान में दलितों के खिलाफ अत्याचार को पर्दाफाश किया. लेकिन आज योगेंद्र मंडल के बारे में कोई चर्चा नहीं करता है.

Last Updated : Aug 29, 2022, 8:14 AM IST

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