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ये तस्वीर बदलनी चाहिए...धनबाद में मैनेजमेंट न होने से लगा प्लास्टिक कचरे का अंबार, लोगों का जीना मुहाल - huge amount of garbage accumulated in dhanbad

धनबाद में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट नहीं होने के कारण प्लास्टिक कचरे का अंबार लगा है. इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. प्लांट के लिए प्रशासन ने जमीन का चयन भी किया है लेकिन ग्रामीणों को इस पर आपत्ति है.

huge amount of garbage accumulated in dhanbad
धनबाद में लगा कचरे का अंबार

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Published : Jul 3, 2021, 11:39 AM IST

Updated : Jul 4, 2021, 6:17 AM IST

धनबाद:प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए 2009 से हर साल तीन जुलाई को अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस मनाया जाता है. यह प्रयास है कि प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए. देश के कई शहरों में इस पर रोक भी लगी है. लेकिन, झारखंड के बड़े शहरों में से एक धनबाद की तस्वीर बिल्कुल अलग है.

यह भी पढ़ें:अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस, पर्यावरण बचाना है तो खत्म करना ही होगा प्रयोग

23 हजार टन जमा हो गया कचरा

धनबाद में हर दिन व्यापक पैमाने पर प्लास्टिक का कचरा निकलता है. प्लास्टिक को अलग करने के लिए नगर निगम के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. नतीजा यह कि प्लास्टिक को अलग करने की बजाय कचरे के साथ डंप कर दिया जाता है. जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर झरिया के बनियाहिर में अन्य कचरों के साथ प्लास्टिक के कचरे को डंप किया जा रहा है. पिछले चार सालों से यहां कचरा डंप हो रहा है और 2020 तक यहां 23 हजार टन प्लास्टिक कचरा डंप किया जा चुका है. आसान भाषा में समझें तो एक भारतीय हाथी का वजन करीब तीन से चार टन होता है और करीब सात हजार हाथियों के बराबर प्लास्टिक का ढेर लग गया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

जमीन को लेकर हो रहा विरोध

प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम 2016 के तहत प्लास्टिक को अलग कर रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जाना चाहिए. इसके लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगना जरूरी है. जिला प्रशासन इस मामले में गंभीर है और प्लांट के निर्माण के लिए 20 एकड़ जमीन भी चिन्हित की है. लेकिन, जमीन को लेकर जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. हूल दिवस से ग्रामीण यहां अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. मुखिया संघ के अध्यक्ष संजय महतो ने कहा कि प्रशासन द्वारा चिन्हित जमीन प्लांट के लिए उपयुक्त नहीं है. आसपास घनी आबादी है. बगल में स्कूल है. निगम की डंपिंग गाड़ी भी गांव के रास्ते से प्लांट तक पहुंचेगी. इसके कारण गांव की स्वच्छता भी खतरे में पड़ जाएगी.

मैनेजमेंट नहीं होने के कारण धनबाद में करीब 23 हजार टन कचरे का अंबार लगा है.

रास्ते को लेकर है ऐतराज

उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने कहा कि कुछ जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में चिंता जताई थी लेकिन, उनकी यह चिंता वाजिब नहीं है. लोगों ने डंपिंग वाहन के जाने वाले रास्ते पर ऐतराज जताया है. उस समस्या का समाधान निकाला जाएगा. डीसी ने कहा कि प्लांट के लिए एक साथ बीस एकड़ जमीन का मिल पाना मुश्किल है. अगर हम जमीन नहीं उलब्ध करा पाते हैं तो बड़ा नुकसान होगा. कचरा इधर-उधर डंप हो रहा है. मैनेजमेंट के लिए ही जगह की तलाश की गई है.

प्लांट लगाने के लिए जमीन का चयन किया गया है लेकिन घनी आबादी होने के चलते ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं.

सामान लाने के लिए थैला लेकर घर से निकलें लोग

नगर आयुक्त का कहना है कि लोगों के बीच जागरुकता फैलाई जा रही है. लोग अब पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं और प्लास्टिक का इस्तेमाल कम कर रहे हैं. विधायक राज सिन्हा का कहना है कि प्लास्टिक के कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है. इसके लिए वे दुकानदारों को जागरूक कर रहे हैं. दुकानदारों को कपड़े का थैला इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं. इसके साथ ही लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि सामान लेने के लिए घर से थैला लेकर निकलें.

Last Updated : Jul 4, 2021, 6:17 AM IST

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