धनबाद: कोयलांचल धनबाद के झरिया इलाके में लगभग 100 वर्षों से अधिक समय से भूमिगत आग लगी हुई है, लेकिन आज तक इस आग पर काबू नहीं पाया गया है, कई बार आग पर काबू पाने का प्रयास हुआ लेकिन यह सफल नहीं हो सका. जबकि पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम ने भी यह कहा था कि झरिया की आग पर काबू पाया जा सकता है. लेकिन आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई. अब यह आग जमीन के अंदर धधकती जा रही है, इससे झरिया का अस्तित्व खत्म होता नजर आ रहा है.
1890 में यहां हुई कोयले की खोज
आपने और हमने राजाओं के लिए जान देते नौकरों की तो कई कहानियां सुनी हैं. लेकिन किसी एक शहर के विकास के लिए दूसरे शहर की कुर्बानी देने का शायद यह इकलौता उदाहरण है. सन 1890 में कोयले की खोज के बाद से ही धनबाद का शहरीकरण शुरू हो गया था. धनबाद बनता गया और झरिया उडजड़ता गया. अगर हम ये कहें कि आज धनबाद की जो रौनक है वो झरिया की देन है. अगर झरिया न होता तो धनबाद कभी आबाद नहीं हो पाता.
1916 में लगी झरिया की आग
दरअसल, झरिया की खदानों में आग लगने की खबर1916 में आई थी, इस भूमिगत आग के कारण झरिया स्टेशन काफी पहले ही खत्म हो गया था. धनबाद-झरिया रेल लाइन उजड़ चुकी है और कुछ दिनों पहले ही धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर भी खतरा मंडराया था जिस कारण डीसी रेल लाइन को बंद कर दिया गया था. हालांकि बाद में काफी हो-हंगामा के बाद इस रेल लाइन को अब चालू जरूर किया गया है. लेकिन, भू-धंसान के कारण आज फिर एक बार डीसी रेल लाइन भी बंद के कगार पर है.
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