धनबादः अपराध का रास्ता अख्तियार कर चुके बाल बंदियों के अंदर देशप्रेम का भाव जगाने की पहल जिले में शुरू की जा रही है. इसके लिए भगवान बिरसा मुंडा के घर से मिट्टी लाई गई. बाल सुधार गृह में बंद बाल बंदियों को उसी मिट्टी को हाथ में देकर शपथ दिलाई गई. यही नहीं बाल बंदियों के बीच अब सैफ बटालियन के जवान गीता, कुरान, बाइबिल जैसे ग्रंथों का पाठ भी पढ़ाएंगे. जिन्हें पढ़ना लिखना नही आता उन्हें एबीसी और क ख ग की प्राथमिक शिक्षा भी दी जाएगी.
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बाल बंदी जब बाल सुधार गृह से बाहर निकले तो ना सिर्फ अच्छे नागरिक की तरह जीवन व्यतीत करे, बल्कि लोग उनसे कुछ सीख लेने की पहल करे. सैफ बटालियन के एसपी बाल सुधार गृह ने नोडल ऑफिसर और लाल किले से स्वतंत्रता दिवस पर उद्घोष करने वाले कर्नल जेके सिंह ने इस नेक कार्य की शुरुआत सोमवार से की है. जिसका नाम उन्होंने कर्मयुद्ध रखा है.
सोमवार को बरमसिया स्थित बाल सुधार गृह में एक कार्यक्रम आयोजन किया गया. जिसमें बाल बंदियों को जागरूक करने के लिए उनके बीच गीता के 7 श्लोक, शिक्षा का न्यूनतम मानक, भगवान बिरसा मुंडा के गुणों की चर्चा और उनके घर की मिट्टी का धारण कर अच्छे मार्ग पर चलने की शपथ दिलाई गई. कर्नल जेके सिंह के द्वारा भगवान बिरसा मुंडा के घर से बाल सुधार गृह में मिट्टी लाई गई. यहां बंद बाल बंदियों को वह मिट्टी हाथो में देकर उन्हें अच्छे रास्ते पर चलने की शपथ दिलाई गई. इसके साथ ही सैफ बटालियन ने भी उन्हें रास्ते पर लाने की शपथ ली है.
कर्नल जेके सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि भगवान बिरसा के घर की मिट्टी में गजब की शक्ति है. बाल बंदियों को रास्ते पर लाने में काफी मददगार साबित होगी. उन्होंने बताया कि मैं भगवान बिरसा मुंडा के घर से निर्मल मिट्टी ले कर आया हूं और यहां बच्चों को दिया गया और वे तिरंगे झंडे के सामने शपथ दिलाई गई. रुद्राक्ष का पौधा सभी बच्चों के द्वारा लगाया गया.
भगवान बिरसा मुंडा के घर की शांत मिट्टी को धारण कर और शपथ लेने के बाद इसे रुद्राक्ष के पौधे के आधार पर रखा गया. बच्चों के बीच हिंदी और अंग्रेजी के सभी अक्षरों, गुणा तालिका, छोटे वाक्यों, राज्य और देश के बारे में कुछ सामान्य ज्ञान से युक्त शिक्षा का न्यूनतम मानक बच्चों को दी जाएगी. गीता के सात श्लोक, 7 आयत, 7 शब्द और सरना के 7 उपदेश बाल बंदियों को पढ़ाया जाएगा. बच्चों से भगवान बिरसा मुंडा के गुणों की चर्चा भी की गई और उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया गया. एक परिवर्तन निर्माता के रूप में इस अनूठे कार्यक्रम किया गया.
उन्होंने कहा कि सैफ बटालियन के ग्रेज्युएट जवानों को इस कार्य मे लगाया गया है. 10 बाल बंदियों का एक ग्रुप तैयार किया गया है. एक एक ग्रेज्युएट जवान को दस दस बाल बंदियों को जिम्मेदारी दी गई है. कर्नल जेके सिंह ने कहा कि कर्मयुद्ध इसका नाम इसलिए दिया गया है कि इस कर्मयुद्ध के बाद वे आगे कर्मपथ पर बेहतर तरीके से चल सके.