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Dhanbad News: बदल रहा वासेपुर! बारूद नहीं अब फिजाओं में घुलती है लच्छा सेवई की भीनी महक

धनबाद में ईद को लेकर दुकानों में रौनक है. वहीं स्वादिष्ट और खुशबूदार सेवई की बिक्री भी खूब हो रही है. ऐसे में वासेपुर के लच्छा सेवई ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है. यहां के बने सेवई की विदेशों में मांग काफी है.

Dhanbad Wasseypur Lachha sevai demand increased in foreign countries for Eid
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Published : Apr 20, 2023, 10:33 AM IST

Updated : Apr 22, 2023, 7:31 AM IST

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धनबादः गैंग्स ऑफ वासेपुर, ऐसा सुनने से ही लगता है कि जैसे यहां जरायम का राज होगा. अगर सच कहें तो कुछ वक्त तक इसकी पहचान इसी नाम से हुआ करती थी. लेकिन आज का वासेपुर पहले जैसा बिल्कुल नहीं है, अब इसने अपनी पहचान बदली है. आज अच्छे कामों से इसका नाम है. यहां के लोगों ने अपने हुनर और कारीगरी से वासेपुर का नाम रोशन किया है. जी हां, वासेपुर के लच्छे सेवई, स्वादिष्ट और खुशबूदार, जिसकी भीनी महक ना सिर्फ प्रदेश बल्कि खाड़ी देशों को भी सराबोर कर रहा है.

धनबाद में ईद की रौनक काफी है. ईद में लच्छा सेवई की बिक्री भी खूब होती है. इसके लिए कारीगर दिन-रात एक करके इसे बनाने में लगे हैं. खाड़ी देशों में वासेपुर के लच्छे सेवई की खुशबूदार महक पहुंच रही है. वासेपुर की गलियों में लजीज और खुशबूदार लच्छे बनाए जा रहे हैं, कई दुकानें लच्छों से सजी हुई भरी पड़ी है. वासेपुर की गलियों में कई प्रतिष्ठान हैं. जहां कारीगर दिन रात लच्छे बनाने में जुटे हैं. रमजान शुरू होने से पहले से ही लच्छा सेवई बनाने का काम शुरू हो जाता है. धनबाद ही नहीं बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के कारीगर यहां स्वादिष्ट और खुशबूदार लच्छे बनाने के लिए पहुंचते हैं.

जब्बार मस्जिद के पास दुकान लगाने वाले मो. मेराज अलाम कहते हैं कि ईद के समय में लच्छे की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इस डिमांड को हम ईद तक भी पूरा नहीं कर पाते हैं, 12 से 15 कारीगर बाहर से मंगाए जाते हैं ताकि लोगों की डिमांड पूरी की जा सके. कीमतों को लेकर वो कहते हैं कि इस बार 200 रुपये से लेकर 700 रुपये तक की अच्छी क्वालिटी के लच्छे उपलब्ध हैं. इन दुकानों में घी, रिफाइन तेल समेत अन्य सामग्रियों से लच्छे बनाये जाते हैं.

दुकानदार बताते हैं कि वासेपुर के कई लोग खाड़ी देशों में बसे हुए हैं. ईद पर जो लोग यहां नहीं पहुंच पाते हैं उनके परिजन यहां से पोस्ट या डाक के माध्यम से उनके लिए लच्छे भिजवाते हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग खाड़ी देश में बसे हैं, वो यहां के लच्छे सेवई मिलने से काफी खुश हो जाते हैं. यहां के लच्छे में उनके देश की खुशबू और उनकी मिट्टी की महक मिली होती है. इसी वजह से यहां के लच्छे को खाड़ी देश में रहने वाले लोग ईद पर कभी भी नहीं भूलते हैं.

वासेपुर के लच्छे सेवई की डिमांड काफी है. सिर्फ धनबाद ही नहीं आसपास के कई जिलों से लोग इन दुकानों से भारी मात्रा में सेवई की खरीदारी करते हैं. ग्राहकों का कहना है कि यहां बने लक्ष्य काफी स्वादिष्ट और खुशबूदार होते हैं. इसलिए वो 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर लच्छे सेवई लेने के लिए यहां पहुंचते हैं.

इन दुकानों में काम करने वाले कारीगरों का कहना है कि वह रमजान के पहले ही अपने घरों से यहां पहुंचते हैं और इसका निर्माण शुरू कर देते हैं. एक लच्छा के बनाने में घंटों समय लगता है, इसके अलावा अलग-अलग फ्लेवर के लच्छे भी वो बनाते हैं. उनके बनाए लच्छे सेवई की मांग और उनकी बढ़ती बिक्री से कारीगर काफी उत्साहित हैं और उन्हें खुशी मिलती है कि उनके बनाए सामान को लोग पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा उन्हें दुकानदार के द्वारा अच्छे पैसे भी मिल जाते हैं.

Last Updated : Apr 22, 2023, 7:31 AM IST

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