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कम नहीं हो रही अरुप चटर्जी की मुश्किलें, पहले जमानत याचिका खारिज अब छापा - dhanbad news

रांची स्थित निजी न्यूज चैनल के संचालक अरुप चटर्जी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. गुरुवार को एक मामले में पहले उनकी जमानत याचिका खारिज हुई. वहीं धनबाद पुलिस उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की है.

Dhanbad police
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Published : Jul 21, 2022, 7:41 PM IST

धनबादः जिले के कोयला कारोबारी राकेश ओझा से भयादोहन कर रुपये वसूलने के मामले में गुरुवार को धनबाद पुलिस ने निजी न्‍यूज चैनल संचालक अरुप चटर्जी और कोयला व्‍यवसायी मैनेजर राय के विभिन्‍न ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. कोर्ट से सर्च वारंट लेकर पुलिस विभिन्‍न मामलों की पड़ताल में दोनों आरोपियों के घर और मैनेजर राय की फैक्‍ट्री में कागजात खंगाल रही है. इसके लिए कोर्ट से दंडाधिकारी की भी प्रतिनियुक्ति की गई है. पुलिस की टीम ने रांची स्थित न्यूज 11 के दफ्तर में भी छापेमारी की.

बताया जाता है कि रांची में साइबर डीएसपी सुमित सौरभ लकड़ा के नेतृत्‍व में धनबाद पुलिस की एक टीम छापेमारी कर रही है. वहीं गोविंदपुर थाना प्रभारी उमेश प्रसाद, निरसा थाना प्रभारी दिलीप कुमार यादव, एग्‍यारकुंड के अंचल अधिकारी समेत अन्‍य पदाधिकारियों के नेतृत्‍व में एक टीम धनबाद के मुगमा स्थित मैनेजर राय के घर और फैक्‍ट्री को खंगाल रही है.

वहीं बता दें कि केयर विजन चिटफंड मामले में अरुप चटर्जी की जमानत याचिका धनबाद सीजीएम ने खारिज कर दिया है. गुरुवार को जमानत याचिका पर सीजीएम कोर्ट में हुई सुनावाई में उनके पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता शाहनवाज ने अपना पक्ष रखा. जबकि सरकारी वकील विकास कुमार ने जमानत का विरोध किया. एक अन्य मामले में बंगाल पुलिस ने भी अरुप चटर्जी का प्रोडक्शन वारंट देने की अपील की है.


दरअसल 19 जुलाई को हाई कोर्ट द्वारा आरोपी को राकेश ओझा से रंगदारी मांगने के मामले में जमानत मिलने के बाद पुलिस ने कोर्ट में आवेदन देकर पुराने गबन के एक मामले में अरूप चटर्जी को रिमांड करने की मांग की. जिसके आधार पर अदालत ने अरूप चटर्जी को पेश करने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के आलोक में जेल प्रशासन ने उन्हें कोर्ट में पेश किया. जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया.

प्राथमिक लोयाबाद के रहने वाले मनोज पंडित की शिकायत पर केयर ग्रुप ऑफ कंपनी के डायरेक्टर अरूप चटर्जी और राकेश सिन्हा के विरुद्ध पुटकी थाना कांड संख्या 91/18 दर्ज की गई थी. प्राथमिकी के अनुसार कंपनी ने लुभावने स्किम का प्रलोभन देकर कंपनी में रुपया जमा करने का प्रचार किया और लोगों का रुपया कंपनी में जमा करवाने लगा. मनोज भी कंपनी का एजेंट था.

जिसने कंपनी के प्रलोभन में आकर कई लोगों का पैसा कंपनी में जमा करवाया. जब कंपनी में काफी रुपया जमा हो गया तो कंपनी पैसा लौटाने में आना-कानी करने लगी और बैंक मोड़ स्थित ऑफिस को बंद कर भाग गई. मनोज ने आरोप लगाया था कि कंपनी और उसके प्रबंध निदेशक ने लोगों से करीब 9 लाख रुपया गबन करने के उद्देश्य से जमा करवाया और कंपनी बंद करके भाग गई.

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