धनबाद: 31 अक्टूबर के दिन 1984 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. इंदिरा गांधी की हत्या उनकी सुरक्षा में तैनात लोगों ने की थी. जिसके वजह से पूरे देश में हिंसा फैल गया. इस हिंसा से धनबाद भी अछूता नहीं था.
आपको बता दें कि आज भी धनबाद में उस घटना से प्रभावित लोग, घटना को याद कर सिहर जाते हैं. आज जिन लोगों ने ईटीवी भारत से बातचीत की उनकी आंखें नम हो गई और वह उस मंजर को याद भी नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वह एक खौफनाक अंधेरी रात थी और वह अपने गुरु से बस यही प्रार्थना करते हैं कि फिर वह घटना किसी धर्म, समुदाय और व्यक्ति विशेष पर ना आए.
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उस घटना के गवाह रहे लोगों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वह घटना याद कर आज भी उनकी रूह कांप जाती है. उस हिंसा से धनबाद भी अछूता नहीं था. एक व्यक्ति की मौत धनबाद में भी हुई थी, जो साइकिल की दुकान चलाता था. इसके साथ ही कई दुकानें लूट ली गई, कई लोगों को अपने बाल, दाढ़ी तक कटवाने पड़ गए थे.
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कुछ स्थानीय लोगों ने उस घटना को याद कर बताया कि यह एक पार्टी विशेष का कार्यक्रम था और आज जिसे सजा मिलनी चाहिए थी, वह मुख्यमंत्री बना हुआ है. उन्होंने ईटीवी भारत से खुले शब्दों में कहा कि जो मुख्यमंत्री बने हुए हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए, तभी हमारे मन को शांति मिलेगी. लोगों ने कहा कि कंपनसेशन के नाम पर लोगों के साथ छलावा हुआ है. जिनकी पूरी की पूरी दुनिया उजड़ गई, सारा व्यापार चौपट हो गया उन्हें मात्र हजार, दो हजार रुपए दिए गए, जिसे लोगों ने लिया भी नहीं. कुल मिलाकर लोगों ने कहा कि हिंसा कहीं से भी जायज नहीं है. अगर किसी ने गलती की थी तो निर्दोष लोगों का कत्लेआम कहां तक जायज है.
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आपको बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हिंसा का दौर पूरे देश में चला था. इसका असर धनबाद में भी था और यहां पर भी लोगों को काफी कुछ सहना पड़ा था. लोग आज उस मंजर को याद कर कांप जाते हैं. उनकी आंखें बात करते-करते नम हो जा रही है. कुल मिलाकर सभी लोगों ने यही कहा कि हिंसा का रास्ता कहीं से सही नहीं है. कुछ लोगों ने अगर गलती की है, तो पूरे धर्म और विशेष समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. खासकर हमारे लोगों ने देश की सेवा की है और आज अपने बलबूते उस घटना को भुलाकर सभी लोग अपने पैरों पर खड़े हैं.