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CM ने दिया धनबाद नगर निगम में सड़क घोटाले मामले में ACB से जांच का आदेश, मेयर पर हैं गंभीर आरोप

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनबाद नगर निगम में लगभग 200 करोड़ के एस्टीमेट घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से कराने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग में पिछले 3 साल की सभी निविदाओं की जांच कराने का भी आदेश दिया है.

CM order on Municipal Corporation scam case in Dhanbad
धनबाद में नगर निगम घोटाला मामले में एसीबी करेगी जांच

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Published : Jun 1, 2020, 8:10 PM IST

Updated : Jun 1, 2020, 8:20 PM IST

रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनबाद नगर निगम में लगभग 200 करोड़ के एस्टीमेट घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से कराने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग में पिछले 3 साल की सभी निविदाओं की जांच कराने का भी आदेश दिया है. दरअसल धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की राशि से बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता समेत कई खामियां बरते जाने की शिकायत मिली है.

परामर्शी से डीपीआर तैयार कराकर वहां के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के निर्देश पर पहले से अच्छी स्थिति की पीसीसी सड़कों को तोड़ कर एस्टीमेट राशि कई गुना बढ़ा कर फिर से पीसीसी सड़कों का निर्माण कराने का मामला सामने आया. इस मामले में परामर्शी को कंसल्टेशन फी के रूप में बढ़े हुए एस्टीमेट की राशि के अनुसार मोटी रकम देकर 50% राशि मेयर के द्वारा वसूले जाने का आरोप है. आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि जिन पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया है. उनकी गुणवत्ता निम्न स्तरीय है.

क्या है मामला
धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की योजना में लगभग 200 करोड़ रुपये के पघोटाले की जांच एसीबी से कराने का निर्देश दिया गया है. 14वें वित्त आयोग की राशि से धनबाद नगर निगम 40 सड़कें स्वीकृत की गई थी. 40 सड़कों में से 27 का एस्टीमेट निगम के ही तकनीकी पदाधिकारी के द्वारा बनाया गया. साथ ही इसके डीपीआर बनाने की एवज में कोई परामर्श शुल्क का भुगतान किसी भी परामर्शी एजेंसी को नहीं दिया गया.
वहीं दूसरी तरफ 13 सड़कों के साथ नाली, एलईडी लाइट, पावर ब्लॉक आदि का प्रावधान होने से परामर्श शुल्क देकर तैयार कराया गया. इन 13 सड़कों की कुल प्राकृत राशि 156.33 करोड़ों का है. जब इन सड़कों का डीपीआर देखा गया तो किसी भी डीपीआर में डिजाइन नहीं है. इसके साथ ही डीपीआर में तकनीकी प्रतिवेदन भी नहीं था. इसके अलावा भी सड़कों के निर्माण में कई खामियां और तकनीकी प्रावधान का उल्लंघन की शिकायत भी की गई है.

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जल संसाधन विभाग के टेंडर की होगी जांच
जल संसाधन विभाग के टेंडर घोटाले के लिए हाई लेवल कमिटी का गठन किया गया. इसके अलावा राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग में टेंडर में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए हाई लेवल कमिटी बनाने का निर्देश दिया है. साथ ही समिति को 30 जून 2020 तक अपनी रिपोर्ट सबमिट करने का निर्देश दिया गया है. उच्च स्तरीय समिति का गठन पथ निर्माण विभाग में गठित उच्च स्तरीय समिति के अनुरूप किया जाना है. समिति के अध्यक्ष विकास आयुक्त होते हैं.

जरूरत पड़ी तो बनेगी टेक्निकल कमिटी
हाई लेवल कमिटी द्वारा विभाग में प्रचलित अनुसूचित दरों और उसके निर्धारण की प्रक्रिया की समीक्षा दी जाएगी. वहीं इसमें किसी तरह के विसंगति पाई गई तो उसकी जांच की जाएगी. इसके लिए हाई लेवल कमिटी एक टेक्निकल कमेटी का भी गठन कर सकती है.

कुछ अन्य फैसलों पर दी हरी झंडी
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी का आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादी पूर्व चुनु मुंडा उर्फ राकेश को प्रत्यर्पण और पुनर्वास नीति के तहत 2 लाख रुपये राशि देने के प्रस्ताव पर स्वीकृति दी है. साथ ही मुख्यमंत्री ने दुमका जेल के अर्ध निर्मित शौचालय में बंदी गोवर्धन पूजहर द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में उसके आश्रित को 2 लाख रुपये मुआवजा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

Last Updated : Jun 1, 2020, 8:20 PM IST

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