धनबाद:जेएमएम के 51वें स्थापना दिवस पर धनबाद के रणधीर वर्मा स्टेडियम में समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पार्टी के सुप्रीमो शिबू सोरेन ने शिरकत की. इनके अलावा पार्टी के विधायक और सांसद भी मंच पर आसीन रहे. पार्टी के कार्यक्रम में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. बड़ी संख्या में लोग पंडाल के बाहर भी मुख्यमंत्री का संबोधन सुनते रहे. अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने एक तरफ भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला. वहीं दूसरी तरफ राज्य में चल रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक राज्यपाल द्वारा लौटाए जाने पर बातों ही बातों तीखी प्रतिक्रिया भी दी.
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मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 51 सालों से गुरुजी का मार्गदर्शन मिलता रहा है. हमारे पूर्वजों के आंदोलन के कारण ही हम अलग राज्य लेने में सफल रहे. हमने राज्य तो अलग ले लिए, लेकिन उनके उद्देश्य को पूरा नहीं किया गया. अलग राज्य बनने के 20 साल बाद मूलवासी की सरकार बनी. झारखंडियों की किस्मत में सिर्फ संघर्ष और बलिदान लिखा हुआ है. अपने लोगों की शहादत के बाद बड़ी मुश्किल से राज्य मिला. उनकी शहादत के बाद बड़ी ही मुश्किल से सरकार बनी. सरकार बनने के बाद वैश्विक महामारी ने पूरे देश में दस्तक दे दी. बाजार, कार्य, और कारखाना सभी बंद पड़ गए. समझ में नहीं आ रहा था कि राज्य को आगे कैसे बढ़ाएं. ना दवा की व्यवस्था और ना ही रोग की पहचान. ऐसे में हमारी सरकार ने बेहतर प्रबंधन से राज्य को उस वैश्विक महामारी से बाहर निकाला. महामारी के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के घर वापसी की व्यवस्था की गई. महामारी के दौरान कई राज्यों में लोगों की मौत जानवरों की तरह हुई. उनके शव को दफन करने के लिए जमीन नहीं मिल रही थी, लेकिन सरकार हतोत्साहित नहीं हुई. तमाम मुश्किलों के बावजूद हमने दो साल का सफर तय किया. अब दो सालों बाद हम विकास कार्यों को लेकर राज्य में आगे बढ़ रहे हैं.
सीएम ने कहा विकास कार्यों को जब गति देने में जुटे हैं तो विपक्षियों के पेट में दर्द होना शुरू हो गया है. मुद्दाविहीन विपक्ष षड्यंत्र के तहत हमारे विकास कार्यों को अवरुद्ध करने का काम कर रहें हैं. आदिवासी, दलित, अल्पसंख्क की मांग को विपक्ष असंवैधानिक बताती है. अलग राज्य की मांग को ये लोग असंवैधानिक बता रहे थे, लेकिन वह लड़ाई भी हमने लड़कर जीती है. सीएम ने कहा सरना धर्म कोड को विपक्ष असंवैधानिक करार देती है. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति इनके लिए असंवैधानिक है. आदिवासी और मूलवासी को अधिकार दिलाने पर बिहार और यूपी के लोगों के पेट में दर्द होने लगता है. 1932 खतियान अधारित नियोजन नीति को लेकर 20 लोग कोर्ट में गए. उन 20 लोगों में 19 लोग यूपी और बिहार के हैं.
सीएम ने इशारे-इशारे में मंच से राज्यपाल पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कर्नाटक की सरकार जो कानून बनाती है, उसे राज्यपाल मुहर लगाकर संसद में भेजते हैं. हमारे यहां आदिवासी और मूलवासी की मांग को असंवैधानिक करार दिया जाता है. कर्नाटक में विपक्ष की सरकार है. कोयला खनन कंपनियों के ऊपर 36 हजार करोड़ बकाया है. इन विपक्षी पार्टियों ने राज्य को खोखला करने का काम किया है. यूपी और बिहार के लोगों के लिए झारखंड चारागाह बना हुआ है. 20 सालों में इन लोगों ने हमारी पीढ़ी के बारे में नही सोचा. ये सरकारी कर्मचारियों का शोषण करते हैं. आज लोग अपनी समस्या को लेकर सरकार तक पहुंच रहे हैं. पारा शिक्षक से लेकर हर कर्मचारियों की हमे चिंता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी बने, दूसरे अर्जुन मुंडा बने, लेकिन बीजेपी नहीं चाहती कि यहां के मूलवासी यहां सत्ता में रहे. मूलवासी अपनी सरकार चलाये, जिसका नतीजा था कि महज दो से तीन साल में ही सरकार गिर गई. बीजेपी नहीं चाहती कि कोई मूलवासी यहां सत्ता में रहे. उन्होंने अडानी को लेकर कहा कि आज देश में आर्थिक दुर्घटना घटी है, जिससे रुपया औंधे मुंह गिर गया है. आप भी समझ सकते हैं किस तरह से भ्रष्टाचार का आलम है.
महंगाई पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले महंगाई डायन थी और अब भौजाई बन गई है. सभी चीजें महंगी हो रही है. एक एलपीजी की कीमत 1200 रुपये है. बीजेपी ने राज्य में 11 लाख गरीबों के नाम बीपीएल से काट दिए. मैंने 20 लाख लोगों का नाम जोड़कर गरीबों को अनाज देने का काम किया है. हमने एफसीआई से सब्सिडी पर अनाज मांगी थी, लेकिन नहीं मिला. अब बाजार दर से अनाज खरीदकर लोगों के बीच बांटने का काम करे हैं.