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धनबाद: संस्कृत सप्ताह का समापन, उपनिषदों में संस्कृत भाषा के स्वरूप पर हुई चर्चा - संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह का आयोजन

धनबाद जिले में शुक्रवार को संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह का आयोजन किया गया. यह आयोजन डीएवी पब्लिक स्कूल रांगामाटी सिंदरी में किया गया. वहीं ऑनलाइन गूगल मीट की तरफ से कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम में वेदों और उपनिषदों में संस्कृत भाषा के स्वरूप और व्याकरण पर चर्चा की गई.

धनबाद खबर
संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह का आयोजन

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Published : Aug 14, 2020, 4:32 PM IST

Updated : Aug 14, 2020, 5:37 PM IST

धनबाद:डीएवी पब्लिक स्कूल रांगामाटी सिंदरी में संस्कृत सप्ताह के समापन पर समारोह आयोजित किया गया. ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में बच्चों ने बढ़-चढ़कर कर भाग लिया. संस्कृत विभागाध्यक्ष बृज किशोर द्विवेदी ने संस्कृत भाषा की महत्ता को समझाते हुए वेदों और उपनिषदों में संस्कृत भाषा के स्वरूप और व्याकरण पर चर्चा की.


गीता ज्ञान प्रश्नोत्तरी हुई
समारोह में विद्यालय के छात्र पुष्कर कुमार ने संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता पर अपने विचार व्यक्त किए. वहीं रिशांत प्रसाद ने संस्कृत भाषा के स्वरूप एवं अध्ययन के महत्व पर चर्चा की. शाम्भवी द्विवेदी ने नित्य प्रयोग में आने वाले महत्वपूर्ण श्लोकों को गा कर सुनाया. आकांक्षा कुमारी ने मधुराष्टकम गीत गा करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. विगत 7 दिनों में संस्कृत संभाषण, संस्कृत सुभाषितानि, संस्कृत भाषा की आधुनिक युग में प्रासंगिकता, गीता ज्ञान प्रश्नोत्तरी, संस्कृत भाषा का वैज्ञानिक महत्व, श्लोक उच्चारण प्रतियोगिता आयोजित की गई.

संस्कृत भाषा में विज्ञान, ज्योतिष का भंडार
इस मौके पर हिंदी शिक्षक माहेश्वरी प्रसाद पाण्डेय ने भी अपना विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि एक जीवन पद्धति है. संस्कृत भाषा में ज्ञान विज्ञान, ज्योतिष, गणित, विभिन्न प्रकार की कला का भंडार है. अगर बच्चों को आरंभिक कक्षाओं से ही संस्कृत भाषा का अध्ययन कराते हैं तो उनके संस्कार और उनके जीवन शैली में परिवर्तन आना स्वाभाविक है.


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संस्कृत भाषा का महत्व बढ़ गया
प्राचार्य आशुतोष कुमार ने कहा कि वास्तव में संस्कृत भाषा का महत्व आज और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि शिक्षा प्राप्त करके हम धन कमाने लायक बन सकते हैं. लेकिन आज सबसे अधिक आवश्यकता संस्कारों को प्राप्त करने की है. अगर किसी विद्यार्थी में संस्कार के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच और सदाचारिता हो तो वास्तव में कितना सुंदर समन्वय दिखता है. इसलिए संस्कृत भाषा का अध्ययन संस्कारों के स्वरूप को दृढ़ता प्रदान करता है. इस कार्यक्रम मे तकनीकी सहयोग कंप्यूटर शिक्षक राहुल कुमार वर्मा का रहा.

Last Updated : Aug 14, 2020, 5:37 PM IST

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