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शहीद के परिजनों को दिया ऑपरेशनल कैज्यूल्टी सर्टिफिकेट, 2004 में जम्मू-कश्मीर में हुए थे शहीद - थाना प्रभारी अभय कुमार

धनबाद के शहीद बीएसएफ जवान मनोज कुमार पांडेय के परिजनों को ऑपरेशनल कैज्यूल्टी सर्टिफिकेट सौंपा. 29 जून 2004 में मनोज कुमार पांडेय जम्मू कश्मीर पुंछ के रजौली सेक्टर में आतंकवादियों ने गश्त दल पर गोलीबारी की थी. जिसमें बीएसएफ जवान शहीद हुए थे.

operational casualty certificate to family of Martyr
operational casualty certificate to family of Martyr

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Published : May 2, 2022, 8:29 PM IST

धनबाद: महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल नई दिल्ली (Director General Border Security Force New Delhi) की ओर से शहीद मनोज कुमार पांडेय की मां मांडवी देवी और भाई पंकज पांडेय को ऑपरेशनल कैज्यूल्टी सर्टिफिकेट दिया गया. प्रमाण पत्र देने के लिए बीएसएफ डिप्टी कमांडेंट एचके पाठक शहीद के निवास स्थान साउथ कॉलोनी चासनाला पहुंचे. मौके पर पाथरडीह थाना प्रभारी अभय कुमार, चंदन कुमार सहित कई लोग मौजूद थे.

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बीएसएफ की ओर से घर बनाने में किया जाएगा सहयोग:बीएसएफ डिप्टी कमांडेंट एचके पाठक ने कहा कि शहीद के परिवार को 4,000 वर्गफीट के क्षेत्र में घर बनाने के लिए सीमेंट में सहयोग राशि दी जाएगी. उन्होंने कहा कि इन सब के अलावा हमारे तरफ से जो भी मदद संभव हो की जाएगी.

एच के पाठक, डिप्टी कमांडेंट, बीएसएफ
क्या था मामला: मनोज पांडेय कारिगल युद्ध में चार पाकिस्‍तानी सैनिकों को मारने के बाद शहीद हुए थे. 29 जून 2004 में मनोज कुमार पांडेय जम्मू कश्मीर के पुंछ के रजौली सेक्टर में 129 बटालियन की गश्त दल में आरक्षक सामान्य ड्यूटी पद पर शामिल होकर एफडीएल सीआरपी ढोक के क्षेत्र में सर्च अभियान में गए थे. तभी आतंकवादियों ने गश्त दल पर गोलीबारी शुरु कर दी थी. इसी दौरान शहीद मनोज कुमार पांडेय गंभीर रूप से घायल हो गए थे. गोली लगने के बाद भी चार आतंकियों को मार गिराया और वीरगति को प्राप्त हो गए.

पूरा परिवार वीरता के लिए जाना जाता है:मनोज पांडेय का पूरा परिवार वीरता के लिए जाना जाता है. मनोज के चचेरे भाई शशिकांत पांडेय श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर पंपोर में आतंकी हमले में शहीद हुए थे. शशिकांत 17 दिसंबर 2013 सेना में भर्ती हुए थे. 17 दिसंबर 2016 को आतंकियों ने पांपोर में सेना के काफिले को निशाना बनाया. शशिकांत के बड़े भाई श्रीकांत पांडेय सीआरपीएफ में तैनात हैं. दो भाई देश की रक्षा के लिए पहले ही कुर्बान हो चुके हैं. एक बड़ा भाई अभी भी देश की सुरक्षा में लगा है.

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