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दुल्हन के साथ 38 दिन बाद बारात अलीगढ़ से लौटी धनबाद, घर में नहीं मिला प्रवेश - barat returned from Aligarh to Dhanbad

एक कहावत है 'आसमान से टपका और खजूर पर अटका' इस कहावत को चरितार्थ होते धनबाद में देखा जा सकता है. जहां 21मार्च को धनबाद से अलीगढ़ के लिए बारात चली थी. दुल्हन लाने के लिए, लेकिन कड़ी मशक्कत के 38 दिन बाद बारात लौटी तो जरूर, लेकिन दूल्हा-दुल्हन अपने घर नहीं पहुंच पाए.

दुल्हन के साथ 38 दिन बाद बारात अलीगढ़ से लौटी धनबाद
barat returned Dhanbad after 38 days from UP

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Published : Apr 28, 2020, 7:32 PM IST

धनबाद: जिले के तोपचांची प्रखंड क्षेत्र के बेलमी गांव से यूपी के अलीगढ़ गयी हुई बारात 38 दिनों के बाद दुल्हन लेकर वापस आई है. वापस आने के बाद भी बारात को धनबाद के फुटबॉल ग्राउंड में रात बितानी पड़ी है. ईटीवी भारत की पहल के बाद जिला प्रशासन ने बारातियों को उनके घर भेजा है.

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14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन हुए बाराती

धनबाद के तोपचांची प्रखंड के बेलमी गांव से 20 मार्च को बारात यूपी के अलीगढ़ इलाके के विधिपुर गांव के लिए निकली थी जो 21 मार्च को वहां पहुंची. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन शादी हुई और 23 मार्च को दुल्हन के साथ बारात की विदाई होनी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह बरात वहीं फंस गई. सभी बारातियों को अलीगढ़ प्रशासन ने 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया. पहला लॉकडाउन खत्म होने वाला था, जिससे बारातियों में आस जगी की अब वो लोग वापस अपने घर धनबाद चले जाएंगे, लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया, जिससे वो फिर वहीं फंस गए.

बाराती सम्मान के साथ हुए विदा

एक-एक दिन काटना उनके लिए कठिन होने लगा. सभी बाराती इस बात को लेकर चिंतित थे कि उन्हें कब वहां से विदा किया जाएगा. क्योकि लॉकडाउन की अवधि तो 14 दिनों की ही होती है. इधर, मामले को लेकर लड़की के परिवार वाले भी काफी चिंतित थे कि किस तरह आए बारातियों को सम्मान के साथ विदा किया जाए. क्योकि एक बेटी के पिता के लिए सबसे खुशी भरा दिन वही होता जब उसकी बेटी डोली चढ़कर अपने ससुराल जाती है. इस लॉकडाउन के ग्रहन ने उन्हें परेशान कर रखा था. काफी दौड़-भाग के बाद अंत में स्थानीय सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया ने पहल की.

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घर जाने की नहीं मिली अनुमति

सांसद के पहल के बाद वहां के डीएम से आदेश लेकर यह बारात दुल्हन को लेकर झारखंड के लिए 26 अप्रैल को शाम 4 बजे विदा हुई जो 27 अप्रैल को रात 9 बजे धनबाद के तोपचांची पहुंची. हिंदी में एक कहावत है 'आसमान से टपका और खजूर पर अटका' जो यहा बिलकुल सटीक बैठती है. अगल-बगल के ग्रामीणों ने मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन को दे दी, जिससे अपने गांव पहुंचकर भी बारत घर नहीं जा पाई. रात भर उन्हें गांव के एक फुटबॉल ग्राउंड में ही रहना पड़ा. घर जान की अनुमति वहां के प्रशासन से नहीं मिल पाई.

गांव पहुंचकर भी बारातियों को उठानी पड़ी परेशानी

उसके बाद 28 अप्रैल की सुबह ईटीवी भारत की टीम ने धनबाद सिविल सर्जन गोपाल दास को मामले की जानकारी दी और सभी बारातियों की थर्मल स्कैनिंग और जांच फुटबॉल ग्राउंड में कराने की बात कही, जिन्हें सिविल सर्जन ने बारातियों की परेशानी को देकते हुए स्वीकार कर लिया. मामले को लेकर नई नवेली दुल्हन सावित्री देवी आर्य ने कहा कि ससुराल आकर घर में न घुस पाना उसे खराब तो लगा, लेकिन कोरोना के कहर से बचाव के लिए उसे इस नियम का पालन करना अच्छा लगा. दुल्हन ने कहा कि लोगों के मन में जो भ्रम है वह दूर हो जाए. इसलिए वह जांच कराने के बाद ही घर में दाखिल होना पसंद करेगी, ताकि समाज के सभी लोगों को इससे संतुष्टि मिल सके.

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ईटीवी भारत को किया धन्यवाद

वहीं, दुल्हें के बड़े भाई मुख लाल महतो ने कहा कि यूपी के अलीगढ़ में भी वहां के जिला प्रशासन, लड़की पक्ष वाले और वहां के समाज का उनलोगों को भरपूर सहयोग मिला. खासकर ईटीवी भारत ने बढ़ चढ़कर वहां भी मदद पहुंचाई और धनबाद पहुंचने पर भी सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम ही मदद के लिए पहुंची है. इसके लिए उन्होंने ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया है.

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