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जुनून हो तो ऐसा...पिता का सपना पूरा करने के लिए बेटे ने धरती का सीना चीर बहा दी जलधारा

धनबाद के पातामहुल गांव में एक बेटे ने पिता का सपना पूरा करने के लिए धरती का सीना चीर जलधारा बहा दी. तालाब को लेकर पिता का उनके भाइयों के साथ विवाद हुआ था. पिता ने अलग तालाब खोदने का निर्णय लिया. दस वर्षों तक मिट्टी खोदते रहे लेकिन तालाब नहीं बना. पिता के जाने के बाद बेटे ने यह जिम्मेदारी उठाई और एक बड़ा तालाब तैयार कर दिया.

Son dig pond to fulfill his father dream in dhanbad
धनबाद में पिता के सपने को पूरा करने के लिए बेटे ने खोदा तालाब

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Published : Jun 3, 2021, 7:03 PM IST

Updated : Jun 3, 2021, 8:49 PM IST

धनबाद:बाघमारा प्रखंड के पातामहुल गांव की एक कहानी 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी की याद दिलाती है. जिस तरह दशरथ मांझी ने छेनी और हथौड़ा लेकर पूरा पहाड़ चीर डाला था, ठीक उसी तरह पातामहुल गांव के फागू महतो ने पिता का सपना पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत कर गैंती और कुदाल से धरती का सीना चीरकर जलधारा बहा दी.

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भाइयों से विवाद के बाद नया तालाब खोदने का लिया फैसला

ये कहानी वर्षों पुरानी है जब फागू के पिता भरत महतो अपने भाइयों के साथ संयुक्त परिवार में रहते थे. परिवार के पास दो तालाब थे और मछली पालन के जरिए परिवार का भरण पोषण होता था. एक दिन मछली बंटवारे को लेकर भाइयों के बीच विवाद हो गया. भरत के भाई हिस्सेदारी को लेकर विरोध पर उतर आए और हिस्सा देने से इंकार कर दिया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यही नहीं भरत के भाइयों ने फागू को जान लेने की धमकी भी दी. भरत अपने इकलौते बेटे की हिफाजत के लिए दोनों तालाब भाइयों के हवाले कर दिया. फागू के पिता ने भाइयों से कहा कि दोनों तालाब ले लो. मैं बेटे के लिए अलग तालाब खोद लूंगा. मेरा बेटा उसी तालाब में मछली पालन करेगा.

न दिन देखा न रात, बस तालाब खोदने में जुटे रहे

फागू के पिता ने तालाब की खुदाई शुरू कर दी. दस सालों तक भरत ने तालाब की लगातार खुदाई की. इसके बाद उनका निधन हो गया. पिता के जाने के बाद बेटा फागू महतो ने पिता के अरमान को पूरा करने का बीड़ा उठाया. वह लगातार तालाब की खुदाई में जुटे रहे और करीब 25 वर्षों की मेहनत के बाद दो बीघा जमीन पर तालाब बना डाला.

फागू जलान फैक्ट्री में काम करते थे. दिन में काम से लौटकर आते तो रात में तालाब की खुदाई में जुट जाते. महीने में 15 दिन ड्यूटी करते तो 15 दिन तालाब की खुदाई. अंत मे फागू ने नौकरी भी छोड़ दी और दिन-रात एक कर तालाब की खुदाई में जुट गए. फागू मछली और बत्तख पालन के साथ-साथ खेतों में तालाब के पानी से सिंचाई करने की बात कहते हैं. फागू ने बताया कि पिता ने मरने से एक दिन पहले कहा था कि बाप का धन हमेशा बचाकर रखना.

जब नींद खुलती तब तालाब खोदने चल देते

फागू की पत्नी चेथरी देवी बताती हैं कि फागू पर तालाब खोदने का जुनून सवार था. कई बार तो रात के दो-तीन बजे ही गैंती और कुदाल उठाकर तालाब खोदने चल देते. जब नींद खुलती तब तालाब खोदने चले जाते. कभी मौसम की परवाह नहीं की. धीरे-धीरे तालाब बड़ा हो गया. इसी तालाब में जानवर पानी पीने आते हैं.

लोग बर्तन मांजने भी आते हैं. इस तालाब से लोगों को काफी फायदा हो रहा है. इसी गांव के मनोहर महतो बताते हैं कि वे करीब 25 सालों से फागू को तालाब खोदते हुए देख रहे हैं. जब से होश संभाला तब से फागू को तालाब खोदते देख रहे हैं. फागू महतो की दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन पर एक शायरी याद आती है-"मेरे जुनून का नतीजा जरूर निकलेगा...इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा". सचमुच कड़ी मेहनत ने नूर निकाला भी है.

Last Updated : Jun 3, 2021, 8:49 PM IST

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