देवघरः बिल्वपत्र (बेलपत्र) भगवान शिव को अति प्रिय है, बिना इसके भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. सावन के महीने में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. बेलपत्र चार प्रकार के होते हैं और हर किसी का अपना अलग महत्व है. निराले औघड़ दानी बाबा भोलेनाथ को सावन मास में भरपूर मात्रा में जल और बेलपत्र समर्पित किया जाता है. देवघर बाबा मंदिर में श्रावणी मेला में हर साल लगने वाली बेलपत्र की अनोखी प्रदर्शनी भगवान और भक्त के इसी प्रेम को दर्शाता है.
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12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम की परंपराएं निराली एवं अद्वितीय हैं यहां की अनोखी और पुरानी परंपराओं में से एक है बाबा बैद्यनाथ धाम में लगने वाली बिल्वपत्र की प्रदशनी है. बेलपत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इसको शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. यहां लगने वाले बिल्वपत्र का प्रदर्शन देखकर भक्त भी भाव बिभोर होते हैं. बाबा भोले के तीन नेत्र हैं और बेलपत्र की तीन पट्टी, इसी का सूचक है. वर्षों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही बिल्वपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह सावन मास भर चलता है. आषाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में बिल्वपत्र सजाने की शुरुआत की जाती है तथा सावन संक्रांति को इसका समापन होता है. इसके लिए पुजारी बिहार, झारखंड के विभिन्न जंगलों से बेलपत्र खोजकर लाते हैं और उसे प्रदशनी के दिन चांदी या स्टील के थाल पर सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं.