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कांवड़ियों की राह आसान कर रहे नंदन चक्रवर्ती, जानिए आखिर क्यों हो रही उनकी चर्चा - etv news

देवघर के कांवड़िया पथ पर इन दिनों एक नाम चर्चा का विषय बना हुआ है. यह नाम है नंदन चक्रवर्ती का. नंदन के साथ उनके दो सेवक भी हैं. इन्होंने एक लक्ष्य साध लिया है और उस लक्ष्य के लिए निकल पड़े हैं. इनके इस लक्ष्य से कांवड़िया पथ पर श्रद्धालुओं को भी आने जाने में काफी आसानी हो रही है.

Story of Nandan Chakraborty
Story of Nandan Chakraborty

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Published : Jul 16, 2023, 7:34 PM IST

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देवघर:दशरथ मांझी के बारे में सभी जानते हैं, जिन्होंने पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना डाला था. ठीक दशरथ मांझी के जैसे ही हैं नंदन चक्रवर्ती. नंदन ने कोई पहाड़ का सीना नहीं चीरा है. बल्कि इन्होंने कुछ और ही किया है. दशरथ मांझी ने जहां अपनी पत्नी के प्रेम में पहाड़ का सीना चीर दिया था, तो नंदन चक्रवर्ती ने अपने जोश, आस्था और जुनून से कांवड़िया पथ पर शिव भक्तों का रास्ता आसान कर दिया है.

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दशराथ मांझी और नंदन के कामों में अंतर जरूर है, लेकिन उनमें एक चीज की समानता है और वह है दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने के जज्बे की. कहानी 6 साल पहले शुरू हुई थी. जब नंदन कावड़ यात्रा कर रहे थे. उस समय इनके पैर में चोट लग गई जिससे यह चोटिल हो गए. उन्हें आगे चलने में काफी दिक्कत हुई. इसके बाद नंदन चक्रवर्ती ने ठान लिया कि वह कावड़ यात्रा भी करेंगे और आने वाले शिव भक्तों का रास्ता भी आसान कर देंगे.

रास्ता को ऐसे करते हैं आसान:इसी सोच के साथ हाथ में एक छोटी सी लोहे की सरिया और दो सेवक को लेकर नंदन चक्रवर्ती कांवड़िया पथ पर निकल पड़े. सुल्तानगंज से लेकर देवघर तक पूरी कांवड़िया पथ पर नंदन अपनी यात्रा भी पूरी करते हैं, और शिव भक्तों के लिए रास्ता भी आसान करते हैं. वे जहां कहीं भी गंदगी, ईट पत्थर और मवेशियों के गोबर देखते हैं, उसे झट से साफ कर देते हैं. इनके एक सेवक भगवान हनुमान का झंडा लिए रहते हैं तो दूसरे सेवक देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हाथ में थामे रहते हैं. नंदन कहते हैं कि इससे इनको ऊर्जा मिलती है.

कांवड़िया पथ के दशरथ नंदन चक्रवर्ती इन दिनों शिव भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. नंदन उन सभी शिव भक्तों के लिए एक प्रेरणा हैं जो यात्रा करते समय गंदगी फैलाते हैं. जरूरत है शिव के इस मार्ग को स्वच्छ रखने की. तभी आस्था और समर्पण बनी रहेगी. नंदन चक्रवर्ती के साथ इनके दोनों साथी कहते हैं कि इससे इन्हें ऊर्जा मिलती है और सनातन धर्म का प्रचार होता है. साथ ही वह अपने साथ चल रहे अन्य कांवड़ियों को भी साफ सफाई के लिए प्रेरित करते हैं.

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