देवघर: प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल के आह्वान के बाद शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्र के हस्तकरघा या हस्तशिल्प से जुड़े कारीगरों के मन में खुद से निर्मित वस्तुओं को एक नई पहचान मिलने की उम्मीद जगी है. ऐसे में स्थानीय कारीगर अपने हुनर के जरिये अपने लिए रोजगार तलाशने को लेकर काफी उत्साहित भी हैं, लेकिन देवघर में सरकार और स्थानीय प्रशाशन की उदासीनता के कारण ऐसे कारीगरों के उम्मीद पर पानी फिर रहा है.
रोजगार की तलाश में युवाओं ने किया पलायन
दरअसल, देवघर के देवीपुर प्रखंड के बिरनियां गांव में लगभग 10 वर्ष पहले झारक्राफ्ट की ओर से एक बुनकर शेड का निर्माण कराया गया था. उद्द्येश्य स्थानीय कारीगरों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना. लेकिन कुछ दिनों तक यह बुनकर शेड चला भी और खासकर स्थानीय महिला कारीगरों ने इससे जुड़कर अपने लिए रोजगार के अवसर भी विकसित कर लिए, लेकिन कुछ ही दिनों में यह बुनकर शेड सरकारी और विभागीय उदासीनता का शिकार हो गया और देखते ही देखते यह खंडहर में तब्दील हो गया. इस बुनकर शेड के बंद हो जाने से कई स्थानीय कारीगर बेरोजगार हो गए. कई तो वैकल्पिक रोजगार की तलाश में दूसरी जगहों पर पलायन कर गए.
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